दिव्यांग ने अपने दम पर खोली साइकिल रिपेयरिंग की दुकान, पढ़ें कहानी

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बुन्देल कुमार, जो जन्म से दिव्यांग हैं, अम्बिकापुर में साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाकर खुद और अपने माता-पिता का खर्च उठा रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार की मदद से उनका जीवन आसान हुआ है.

बुलंद कुमार आत्मनिर्भरता कि मिशाल
हाइलाइट्स
- बुन्देल कुमार साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाते हैं.
- छत्तीसगढ़ सरकार की मदद से उनका जीवन आसान हुआ है.
- ट्राइसाइकिल मिलने से बुन्देल का आत्मविश्वास बढ़ा है.
रमजान खान/अम्बिकापुर. हौसले इतने बुलंद कि दिव्यांग होते हुए भी मेहनत के बल पर साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चला रहे हैं. छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में रहने वाले बुन्देल कुमार ने साबित कर दिया कि अगर हौसला हो तो कोई भी बाधा सफलता की राह में रुकावट नहीं बन सकती. बुन्देल कुमार, जो जन्म से दिव्यांग हैं, अम्बिकापुर के केदारपुर में रहते हैं और अपनी साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाकर खुद का और अपने माता-पिता का खर्च उठा रहे हैं. उन्होंने अपनी मेहनत से एक मिसाल कायम की है.
बुन्देल कुमार बताते हैं कि वे मूल रूप से जशपुर जिले के सन्ना के रहने वाले हैं, जहां उनके माता-पिता खेती करते हैं. जीवनयापन की तलाश में वे कई साल पहले अम्बिकापुर आए और यहां एक छोटी सी साइकिल रिपेयरिंग की दुकान खोली. अपनी मेहनत के दम पर वे न सिर्फ खुद का खर्च निकालते हैं, बल्कि कुछ पैसे बचाकर अपने माता-पिता को गांव भी भेजते हैं.
सरकार की ओर से दी जा रही सहायता
बुन्देल बताते हैं कि पहले उन्हें चलने-फिरने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, लेकिन जब से छत्तीसगढ़ शासन के समाज कल्याण विभाग से उन्हें ट्राइसाइकिल मिली है, तब से उनका जीवन काफी आसान हो गया है. अब वे दुकान के लिए जरूरी सामान लाने-ले जाने में भी सक्षम हो गए हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में उनकी ट्राइसाइकिल की बैट्री खराब हो गई थी, जिसकी सूचना देने पर विभाग ने तुरंत ही बैट्री बदल दी. बुन्देल कुमार ने छत्तीसगढ़ सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की ओर से दी जा रही सहायता से हमें काफी सुविधा मिल रही है. इससे हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ा है और हम अपने पैरों पर खड़े हो सके हैं.
Ambikapur,Surguja,Chhattisgarh
March 03, 2025, 17:04 IST
