दवाओं पर टैक्स हटने के बाद भी इतना महंगा है कैंसर का इलाज, जानें कितना होता है खर्च

देश में स्वास्थ्य विभाग को मजबूत करने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है. वहीं कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनका इलाज देश और विदेश दोनों ही जगहों पर काफी महंगा है. इन बीमारियों में कैंसर के एक प्रमुख बीमारी है. लेकिन इस बार बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैंसर की दवाओं को ड्यूटी फ्री में शामिल किया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके बाद भी कैंसर का इलाज कितना महंगा है, आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
कैंसर की दवा टैक्स फ्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते 1 फरवरी को बजट की घोषणा में आम जनता को ध्यान में रखते हुए कई बड़ी घोषणाएं की हैं. इन घोषणाओं में कैंसर मरीजों को बड़ी राहत दी गई है. निर्मला सीतारमण ने कहा कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जुड़ी 36 दवाओं पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा. उन्होंने कहा कि इन्हें पूरी तरह से ड्यूटी फ्री बनाया जाएगा. इतना ही नहीं वित्त मंत्री ने ऐलान किया है कि अगले 3 सालों में देशभर के सभी जिलों में डे केयर कैंसर सेंटर खोले जाएंगे.
कैंसर की बीमारी
कैंसर की बीमारी दुनियाभर के घातक बीमारियों में एक है. कैंसर जितना घातक है, इसका इलाज भी उतना ही महंगा है. आज भारत में कई कैंसर इंस्टीट्यूट हैं, जहां पर कैंसर मरीजों का इलाज होता है. लेकिन कई बार ये बीमारी इतनी गंभीर स्थिति में पहुंच जाती है कि इसका इलाज संभव नहीं हो पाता है और मरीज की मौत हो जाती है.
कैंसर के इलाज का खर्च
बता दें कि भारत समेत दुनियाभर में कैंसर का इलाज उसकी स्थिति पर निर्भर करता है. जो मरीज कैंसर के फर्स्ट स्टेज पर होते हैं उनका इलाज कम पैसों में संभव होता है. लेकिन जो मरीज कैंसर के आखिरी स्टेज पर होते हैं, उनके इलाज में लाखों-करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं, उसके बाद भी मरीज का जीवन बचेगा, ये कहा नहीं जा सकता है.
क्यों इतना महंगा है इलाज?
कैंसर का इलाज काफी ज्यादा खर्चीला होता है. लेकिन कैंसर का इलाज पीछे होने के पीछे कई कारण होते हैं. इसमें एक कारण ये भी है कि कैंसर की दवाएं उन्नत बायोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बनाई जाती हैं. इतना ही नहीं दवा कंपनियों को इन दवाओं को बनाने में बहुत लंबा समय और पैसा भी लगता है. वहीं जब ये दवा बाजार में आती है, तो इसकी कीमत बढ़ जाती है, जिससे आम इंसान को इन दवाओँ को खरीदना मुश्किल हो जाता है. वहीं दूसरा कारण ये है कैंसर का इलाज लंबा चलता है, इसलिए भी ये काफी खर्चीला होता है. पश्चिम देशों में कैंसर के इलाज में 5 करोड़ रुपये तक खर्च होते हैं.
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