तब तो 'कंगाल' हो जाएगा अमेरिका, ट्रंप के शपथग्रहण से पहले मस्क की चेतावनी!
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एलन मस्क ने अमेरिका के बढ़ते राष्ट्रीय कर्ज पर चिंता जताई है, जो जीडीपी के 121% से अधिक हो गया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो अमेरिका दिवालिया हो सकता है.
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अमेरिका पर अभी भारी कर्ज है.
हाइलाइट्स
- एलन मस्क ने अमेरिका के दिवालिया होने की चेतावनी दी.
- मस्क का कहना है कि तुरंत कदम ना उठाए गए तो अमेरिका दिवालिया हो जाएगा.
- 1984 में अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज जीडीपी का 38% था, अब यह 121% है.
नई दिल्ली. अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण समारोह से ठीक पहले उनके दोस्त और दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने एक बड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखे एक पोस्ट में कहा है कि अगर तुंरत कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया तो अमेरिका दिवालिया हो जाएगा.
उन्होंने यह बयान एक अन्य पोस्ट को री-पोस्ट करते हुए दिया है. दरअसल, मस्क को जिस डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफीशिएंसी विभाग की कमान सौंपी गई है उसने ट्वीट किया था, “आखिरी बार 1984 में जब अमेरिकी सरकार का रिव्यू किया गया था तब कुल बजट 848 अरब डॉलर का था और राष्ट्रीय पर कर्ज 1.6 लाख करोड़ डॉलर का था. यह उस जीडीपी का केवल 38 फीसदी था. अब बजट 7 लाख करोड़ डॉलर का है और राष्ट्रीय कर्ज 35.3 लाख करोड़ रुपये का है जो जीडीपी के साइज के मुकाबले 121 फीसदी अधिक है.”
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कर्ज में अमेरिका
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर भारी कर्ज है यह साफ है लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल अमेरिका पर ही कर्ज है. जापान, इटली, कनाडा यहां तक की भारत पर भी उसकी जीडीपी के अनुपात में अच्छा-खासा कर्ज है. भले ही बाकी देशों पर कर्ज एक बड़ी समस्या हो सकता है लेकिन अमेरिका के लिए यह उतनी चिंता की बात नहीं है. इसके पीछे कारण है उसकी करेंसी डॉलर.
क्यों नहीं चिंता विषय
दरअसल, अधिकांश अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि बढ़ता हुआ अमेरिकी कर्ज बहुत बड़ी चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि अमेरिका अपने कर्ज को अपनी मुद्रा में लेता है, जिसका अर्थ है कि वह हमेशा अधिक पैसा छापकर अपने कर्ज का भुगतान कर सकता है. साथ ही, अमेरिका की वैश्विक आर्थिक स्थिति मजबूत है, जिससे उसे कम ब्याज दरों पर कर्ज लेने और अमेरिकी ट्रेजरी में निवेशकों का विश्वास बनाए रखने में मदद मिलती है. हालांकि, लगातार उच्च कर्ज का स्तर दीर्घकालिक रूप से आर्थिक स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकता है, विशेष रूप से तब, जब ब्याज दरों में उल्लेखनीय वृद्धि हो या निवेशकों का विश्वास डगमगा जाए.
New Delhi,Delhi
January 17, 2025, 23:36 IST
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