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ठियोग पेयजल सप्लाई स्कैम में बड़ा खुलासे, विजिलेंस ने सरकार को सौंपी जांच

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हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को जांच रिपोर्ट सौंपी गई है. डीजी विजिलेंस अशोक, आईजी बिमल गुप्ता और एएसपी नरवीर राठौर ने मामले की जांच की है. 10 दिनों की प्रारंभिक जांच में विजिलेंस को अनियमितताओं के सुबूत मिले हैं.

ठियोग पेयजल सप्लाई स्कैम में बड़ा खुलासे, विजिलेंस ने सरकार को सौंपी जांच

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के ठियोग में पेयजल सप्लाई में घोटाला हुआ था.

हाइलाइट्स

  • ठियोग पेयजल सप्लाई में घोटाले की पुष्टि.
  • जल शक्ति विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप.
  • ठेकेदारों और अधिकारियों से पूछताछ जारी.

शिमला. हिमाचल प्रदेश के शिमला के ठियोग विधानसभा क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति में हुए घोटाले पर विजिलेंस ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. सूत्रों के अनुसार, 10 दिनों की जांच में विजिलेंस को अनियमितताओं के सबूत मिले हैं. सूत्रों का कहना है कि इस मामले में सरकार एफआईआर के आदेश दे सकती है.

सूत्रों के मुताबिक, डीजी विजिलेंस अशोक कुमार तिवारी, आईजी बिमल गुप्ता और एएसपी नरवीर राठौर ने अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को जांच रिपोर्ट सौंपी है. ओंकार शर्मा के पास गृह विभाग और जल शक्ति विभाग की भी जिम्मेदारी है. सूत्रों के अनुसार, यह जांच रिपोर्ट 50 से 100 पन्नों की है. रिपोर्ट में जल शक्ति विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही और अनियमितताओं के साथ-साथ पेमेंट को लेकर बैंक खातों का भी विवरण दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि जिस पानी के स्रोत से टैंकर भरने के लिए कहा गया था, वहां से पानी नहीं भरा गया.

सैंज स्थित लेलू पुल के पास पीने का स्वच्छ पानी भरने को कहा गया था, लेकिन पानी छैला के आसपास किसी स्रोत से भरा गया. इसके अलावा, गाड़ियों के बिलों में भी गड़बड़ी पाई गई है और गाड़ी नंबर भी गलत दिए गए हैं. फील्ड पर जिनकी ड्यूटी थी, उनकी गलती और टेंडर डॉक्यूमेंट की गाइडलाइन की पालना न करने के भी साक्ष्य मिले हैं.

जानकारी के अनुसार, इस मामले में संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों, ठेकेदारों, निलंबित अधिकारियों और गाड़ी चालकों से पूछताछ की गई. पूछताछ के दौरान इन लोगों के बयान आपस में मेल नहीं खा रहे हैं. इस रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई करनी है, यह सरकार तय करेगी.

क्या है घोटाला

शिमला के ठियोग में गर्मियों के सीजन में पानी की सप्लाई की गई थी. यहां पर गांव में पानी की किल्लत थी और ऐसे में जल शक्ति विभाग ने टैंकरों से गांव में सप्लाई की. हालांकि, पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने इस पर आरटीआई ली और फिर पता चला कि बाइक, कार, बोलेरो और होंडा सिटी जैसी गाड़ियों में पानी की सप्लाई की गई है. इस एवज में 1.13 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. जिन गांव में सड़क नहीं थी, उनमें भी टैंकरों से सप्लाई दिखाई गई. इस मामले में एक्सईएन, जेई और एसडीओ सहित कुल 10 अफसरों को सरकार ने सस्पेंड किया है.

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