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टावर के नाम पर हुआ खेल, लाखों दिलाने का दिखाया सब्‍जबाग, ले उड़ा पूरी कमाई

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दिल्ली साइबर पुलिस ने हरियाणा के राहुल को मोबाइल टावर इंस्टॉलेशन के नाम पर 88,000 रुपये की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया. पुलिस ने राहुल से लैपटॉप और तीन मोबाइल फोन बरामद किए.

टावर के नाम पर हुआ खेल, लाखों दिलाने का दिखाया सब्‍जबाग, ले उड़ा पूरी कमाई

हाइलाइट्स

  • दिल्ली साइबर पुलिस ने राहुल को गिरफ्तार किया.
  • राहुल ने मोबाइल टावर इंस्टॉलेशन के नाम पर 88,000 रुपये ठगे.
  • पुलिस ने राहुल से लैपटॉप और तीन मोबाइल फोन बरामद किए.

Delhi Crime News: दिल्ली के नॉर्थ-वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के साइबर थाने की टीम ने एक ऐसा धोखाधड़ी का मामला सुलझाया है, जो ना केवल शातिर दिमाग वाले अपराधी की गिरफ्तारी के रूप में समाप्त हुआ, बल्कि एक धोखेबाज के कई चेहरों को भी उजागर किया. वह शख्स जो कुछ समय पहले तक खुद को एक मददगार और भरोसेमंद व्यक्ति के रूप में पेश कर रहा था, अब पुलिस के गिरफ्त में है. आरोपी की पहचान हरियाणा के हंसी जिले के कुतुबपुर गांव का निवासी उसका नाम था राहुल (30) के तौर पर हुई है.

सब कुछ उस दिन से शुरू हुआ जब एक दिन सुबाश चंद्रा (42 वर्ष) नामक व्यक्ति ने साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई. उनकी आंखों में निराशा थी और चेहरे पर उलझन का गहरा निशान. उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति ने उन्हें मोबाइल टावर इंस्टॉलेशन के नाम पर अपने जाल में फंसा लिया था. उस व्यक्ति ने उन्हें लुभावने वादे किए थे— एक स्थायी आय का वादा, जो किसी भी साधारण व्यक्ति का ख्वाब हो सकता था. सुबाश ने 88,000 रुपये की रकम उसे दे दी, यह सोचकर कि वह एक नई शुरुआत करेगा. मगर जैसे ही पैसे दिए, वह व्यक्ति अचानक गायब हो गया और सुबाश के हाथ सिर्फ निराशा और धोखाधड़ी की खाली झोलियां रह गईं.

चालाक अपराधी का पीछा और पुलिस की कार्रवाई
साइबर पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच शुरू की. जांच की बागडोर इंस्पेक्टर दिनेश दहिया ने संभाली. उन्होंने अपनी टीम के साथ एक त्वरित और प्रभावी योजना बनाई. टीम में शामिल थे एसआई सुनीत, हेड कांस्टेबल अमित, प्रवीण और संदीप, साथ ही कॉन्स्टेबल बलराम. इन सभी ने मिलकर जालसाज को पकड़ने की दिशा में पूरी ताकत झोंक दी.

टीम ने पहले आरोपी के पते पर छापा मारा, लेकिन वहां उसे नहीं पाया. यह देखकर पुलिस को अंदाजा हुआ कि आरोपी कहीं और छुपा बैठा है. फिर, पुलिस ने आरोपी के डिजिटल फुटप्रिंट्स का पता लगाना शुरू किया, मोबाइल ट्रैकिंग की और आरोपी के बारे में और भी जानकारी जुटाई. कई दिनों की कड़ी मेहनत और तकनीकी निगरानी के बाद आखिरकार आरोपी राहुल का पर्दाफाश हुआ.

गिरफ्तारी, बरामदगी और चौंकाने वाले खुलासे
जब राहुल को गिरफ्तार किया गया, तो पुलिस ने उसकी तलाशी ली. उसके पास से एक लैपटॉप और तीन मोबाइल फोन बरामद हुए. पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने अपनी चुप्प को तोड़ते हुए सब कुछ उगल दिया. राहुल ने बताया कि वह हंसी का निवासी है और वहां के बहुत से युवक साइबर अपराधों में लिप्त हैं. उसने इन अपराधों को अपने साथियों से सीखा था.

राहुल ने अपना आधार कार्ड भी बदलवाया था ताकि वह अपनी पहचान को छिपा सके. राहुल और उसके साथियों ने पिछले एक साल में 20 से ज्यादा लोगों को ठगा था. लोगों से लाखों रुपये लेकर वे गायब हो जाते थे. अब पुलिस राहुल के साथियों की पहचान और उनके द्वारा किए गए अन्य अपराधों की जांच कर रही है.

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