जीरे की खेती में झुलसा रोग का खतरा! किसान इन आसान उपायों से बचा सकते हैं फसल

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Farming Tips: गुजरात के अमरेली में मसाला फसल जीरे की खेती को रोग नियंत्रण के बिना भारी नुकसान हो सकता है. विशेषज्ञों ने झुलसा रोग को रोकने और उत्पादन बढ़ाने के उपाय सुझाए हैं, जो किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं.
गुजरात के अमरेली जिले में जीरे की खेती एक महत्वपूर्ण मसाला फसल के रूप में जानी जाती है. यहां का जीरा अपनी गुणवत्ता और महक के लिए देशभर में मशहूर है. लेकिन इस फसल को सही देखभाल और रोग नियंत्रण के बिना भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
झुलसा रोग: जीरे की फसल का सबसे बड़ा दुश्मन
जीरे की खेती में सबसे प्रचलित समस्या झुलसा रोग है. जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. सी. एम. भालिया ने बताया कि यह रोग “ब्लाइट ओरिसिफी पॉलीगोनी” नामक कवक के कारण होता है, जो हवा के माध्यम से फैलता है. यह बीमारी विशेष रूप से फसल के फूल आने की अवस्था में दिखाई देती है. रोग शुरुआत में पौधे की निचली पत्तियों पर सफेद कवक के रूप में फैलता है, जो धीरे-धीरे पूरी फसल को अपने घेरे में ले लेता है.
सफेद पाउडर से ढके पौधे
झुलसा रोग से प्रभावित पौधे ऐसे दिखते हैं जैसे उन पर सफेद पाउडर छिड़का गया हो. बाद में यह पाउडर भूरा हो जाता है, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है. यदि यह रोग फूल बनने के समय हो जाए तो फूल गिर जाते हैं और बीज नहीं बन पाते. वहीं, दाना बनने के समय यह बीमारी होने पर बीज हल्के, सिकुड़े हुए और अविकसित रह जाते हैं.
रोग नियंत्रण के उपाय
झुलसा रोग को रोकने के लिए उचित समय पर नियंत्रण बहुत जरूरी है. विशेषज्ञों के अनुसार, रोग की शुरुआत होते ही 25 ग्राम “द्रव्य ढांडक 80 डब्लूजी” को 10 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा, “पायराक्लोस्ट्रोबिन 5 डब्ल्यूजी” का उपयोग भी प्रभावी है. इसे 10 लीटर पानी में 30 ग्राम मिलाकर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर दो से तीन बार छिड़काव किया जा सकता है.
समय पर कार्रवाई है जरूरी
जीरे की फसल को बचाने और बेहतर उत्पादन के लिए समय पर रोग नियंत्रण करना आवश्यक है. अमरेली जैसे क्षेत्रों में यह समस्या बड़ी चुनौती बन सकती है, लेकिन सही तकनीकों और विशेषज्ञों की सलाह के साथ इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
