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जिसकी उम्मीद थी वही हुआ, दिल्ली वालों को अब आएगा मजा, झटके में पूरी हुई डिमांड

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दिल्ली में भाजपा सरकार बनने के बाद केंद्र और राज्य ने 14 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने का फैसला किया है, जो रिंग रोड की भीड़ को कम करेगा और हवाई अड्डे तक नॉन स्टॉप कनेक्टिविटी देगा.

जिसकी उम्मीद थी वही हुआ, दिल्ली वालों को अब आएगा मजा, झटके में पूरी हुई डिमांड

मोदी सरकार ने दिल्ली को बड़ा तोहफा दिया है.

हाइलाइट्स

  • दिल्ली में बनेगा 14 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर.
  • रिंग रोड की भीड़ कम करेगा और हवाई अड्डे तक नॉन स्टॉप कनेक्टिविटी देगा.
  • परियोजना की लागत का निर्धारण अंतिम डीपीआर के बाद होगा.

दिल्ली में करीब 11 साल तक सत्ता में रहने के बाद अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी बेदखल हो चुकी है. लंबे समय बाद भाजपा की सरकार बनी है. अब केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर एक ही पार्टी की सरकार है. ऐसे में अब दोनों सरकारें मिलकर बुलेट ट्रेन की रफ्तार से फैसले ले रही हैं. इसी क्रम में दिल्ली वालों को एक बड़ा गिफ्ट मिला है. बीते चार साल से दिल्ली की आप सरकार केंद्र सरकार से ये फैसला नहीं करवा पाई थी. इस फैसले से दिल्ली खासकर दक्षिणी दिल्ली के लोगों के बल्ले-बल्ले हो गए हैं.

दरअसल, केंद्र और दिल्ली की सरकार ने मिलकर एक बड़ा फैसला लिया है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) आईएनए और नेल्सन मंडेला मार्ग, वसंत कुंज के बीच एक एलिवेटेड कॉरिडोर बनाएगा, जो रिंग रोड की भीड़भाड़ को कम करने के लिए चार साल पहले सोचा गया था.

सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना के लिए पैसा दिल्ली सरकार और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा किया जाएगा. एनएचएआई नेल्सन मंडेला मार्ग और शिव मूर्ति इंटरचेंज के बीच एक सुरंग भी बनाएगा, जो इंदिरा गांधी हवाई अड्डे तक नॉन स्टॉप कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. इस कॉरिडोर के बनने से पूर्वी और दक्षिण दिल्ली से आने वाला ट्रैफिक बिना रुके हवाई अड्डे तक जा सकेगा.

14KM लंबी होगी एलिवेटेड रोड
प्रस्तावित एलिवेटेड कॉरिडोर की कुल लंबई 14 किमी होगी. यह जो रिंग रोड के साथ सरकारी आवासीय और वाणिज्यिक परिसरों से गुजरेगा. इसकी जुलाई 2021 में केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दी गई थी. सीपीडब्ल्यूडी को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने और इसे लागू करने का काम सौंपा गया था. लेकिन परियोजना को पब्लिक इनवेस्टमेंट बोर्ड की मंजूरी कभी नहीं प्राप्त कर सकी.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबकि इस महीने की शुरुआत में पीएमओ में एक बैठक में दिल्ली में सड़कों की भीड़भाड़ को कम करने से संबंधित मामलों पर चर्चा की गई, जहां शीर्ष सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों ने सुझाव दिया कि एनएचआईए इस परियोजना का निर्माण कर सकता है.

पहले के अनुमान के अनुसार, इस परियोजना की लागत 4,500 करोड़ रुपये थी. केंद्रीय सड़क परिवहन सचिव वी उमाशंकर ने तब एक बैठक की, जिसमें एनएचएआई, दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम के अधिकारी शामिल हुए. अब अंतिम डीपीआर के बाद लागत का निर्धारण किया जाएगा.

दिल्ली पीडब्ल्यूडी के कुछ अनुमानों के अनुसार, हर दिन लगभग 1.3 लाख वाहन एम्स क्रॉसिंग से गुजरते हैं और लगभग 3.3 लाख वाहन रोजाना भीकाजी कामा फ्लाईओवर के बीच चलते हैं. इस एलिवेटेड रोड से ट्रैफिक जाम की समस्या से छुटकारा मिलेगा.

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