छोटे रोबोट्स की जगह जिंदा कॉकरोचों को होगा इस्तेमाल, एक नहीं कई काम निकलवाएंगे
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वैज्ञानिक ने हाई टेकनीक वाले किसी कीड़े के आकार के रोबोट की जगह साइबोर्ग कॉकरोच का इस्तेमाल करना चाहते हैं. उनका मानना है कॉकरोच बहुत सारे अभियानों सेहित बचाव कार्यों में मददगार हो सकते हैं. शोधकर्ताओं का कहना …और पढ़ें
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वैज्ञानिकों का कहना है कि वे कॉकरोच की तरह रोबोट बनाने की जगह उन्हीं का बढ़िया इस्तेमाल कर सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
हाइलाइट्स
- वैज्ञानिक साइबोर्ग कॉकरोच का करेंगे उपयोग
- कॉकरोच बचाव कार्यों में होंगे मददगार
- कॉकरोच विपरीत वातावरण में भी रह सकते हैं
फिल्मों में ऐसा बहुत देखा गया है. एक आधा इंसान औरआधा रोबोट वाला शख्स या दो दुनिया बचाने का काम कर रहा होता है या फिर दुनिया तबाह कर रहा होता है. इस तरह से इंसान और मशीन का मिश्रण को साइबोर्ग कहते हैं. वे अभी तक केवल विज्ञान फंतासी का ही हिस्सा रहे हैं. वैज्ञानिक भी इसे सच बनाने की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं. लेकिन इसी दिशा में उन्होंने एक अहम सफलता पाई है. उन्होंने साइबोर्ग कॉकरोच बनाया है, जो कई कामों में इंसानों के लिए चमत्कारी साबित हो सकते हैं. इनमें बचाव कार्य सबसे अहम हैं.
अलग से रोबोट बनाने की जरूरत नहीं
वैसे तो वैज्ञानिक महीने कीड़े नुमान रोबोट बनाने में बहुत आगे निकल गए हैं, लेकिन ओसाका यूनिवर्सिटी के मोचाम्माद अरियान्टो और इंडोनेशिया के यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय के उनके सहयोगियों ने कुछ हट कर सोचा है. उनका मकसद छोटे पैमाने की मशीनें बनाने के बजाय कीटों की ही कुदरती काबिलियतों का ही इस्तेमाल करना है. यानि कॉकरोच में केवल एक छोटी सी चिप लगा कर ढेरों काम हो सकते हैं.
कॉकरोच क्यों होंगे खास
कॉकरोच की सबसे खास बात ये होती है चरम विपरीत वातावरण में भी रह सकते हैं. वे कम संसाधनों में भी कम जरूरतों के साथ रह सकते हैं. जिससे वे दुनिया के उन हालात में भी रह पाते हैं, जहां इंसान सोच भी नहीं पाता है. शोधकर्ताओं ने इन कीड़ों में एक बहुत ही चुस्त किस्म के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स का इस्तेमाल किया. इसके बाद उन्हें खुला छोड़ दिया जाएगा जिससे वे जहां चाहें खुद ही जाएं.
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असल कॉकरोच के साथ तकनीक का इस्तेमाल वैज्ञानिकों को कॉकरोच का भी फायदा देगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
सबसे बड़ा फायदा
सामान्य बड़े रोबोट के विपरित कॉकरोच बहुत ही छोटी छोटी जगहों में, यहां तक कचरे और मलबे में भी घुसपैठ कर सकते हैं. उन्हें इसके लिए अलग से ऊर्जा की जरूरत नहीं होगी ना ही बैटरी आदि का झंझट होगा. अरियोंटो का कहना है कि कीड़ों में केवल इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जोड़ कही रोबोटिक इंजीनियरिंग के बारीकियों से बचा जा सकता है और मकसद हासिल किए जा सकते हैं.
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ऐसे कॉकरोच भूकंप, बाढ़, आगजनी की घटनाओं से पैदा हुए मुश्किल हालात में काम आ सकते हैं, जहां इसानों का पहुंचना बहुत ही ज्यादा जोखिम भरा हो जाता है. वे मलबे में दबे लोगों को बहुत ही जल्दी खोज सकते हैं और बहुत ही गहराई में जा कर तापमान, एयर क्वालिटी, जैसे कई अहम जानकारी तक जुटा सकते हैं. इसके अलावा वे पुरातत्वविदों, इंजीनियर्स, जमीन के अंदर पानी, जरूरी खनिज आदि की खोज जैसे कार्यों में भी उपयोगी हो सकते हैं.
February 17, 2025, 15:20 IST
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