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चीन-पाक का हमला होगा नाकाम, हर मिसाइल का होगा काम तमाम

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ARMY AIR DEFENCE: दुनिया में चल रहे अलग अलग युद्ध में दुश्मन के हमले से बचाने के लिए सबसे अहम रोल एयर डिफेंस का साबित हुआ है. ड्रोन, लाइटर म्यूनिशन्स और काउंटर-ड्रोन सिस्टम जैसे उन्नत तकनीकी खतरों का सामना करन…और पढ़ें

चीन-पाक का हमला होगा नाकाम, हर मिसाइल का होगा काम तमाम

हर रेंज के एयर डिफेंस सिस्टम भारत के पास

हाइलाइट्स

  • भारतीय सेना आकाश मिसाइल सिस्टम की दो नई यूनिट स्थापित करेगी.
  • आकाश नेक्सट जेनेरेशन की रेंज 40-80 किमी है.
  • QRSAM सिस्टम का प्रोटोटाइप 1 साल में तैयार होगा.

ARMY AIR DEFENCE: आज के दौर में लॉंग रेंज वेपन और एरियल अटैक किसी भी देश की कमर को तोड़ सकता है. इसका एक ही इलाज है खुद के एयर डिफेंस की मजबूती. भारत संभावित टू फ्रंट वार के लिए खुद को अप टू डेट करने में जुटी है. इसी कड़ी में भारतीय सेना आकाश मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम की दो नई यूनिट स्थापित करने जा रही है. आने वाले कुछ महीनों में यह काम पूरा हो सकता है. यह दोनों रेजिमेंट में आकाश के एडवांस नेक्सट जेनेरेशन एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के होंगे. इसके प्रोटोटाइप मॉडल को अगले 45 दिनों में हाई एल्टिट्यूड इलाके में ट्रायल के लिए तैयार किया जा रहा है.

आकाश NG है पहले से घातक
आकाश नेक्सट जेनेरेशन की रेंज 40 से 80 किलोमीटर के बीच है. एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड मल्टी फंक्शन रडार लगा हुआ है. यह एक साथ कई मिसाइल और एयरक्राफ्ट को एक साथ स्कैन कर सकता है.इसकी रफ्तार 2.5 जी से से ज्यादा है . यह किसी भी मोबाइल प्लेटफॉर्म से लॉंन्च की जा सकती है. इसे सड़क के रास्ते एक जगह से दूसरी जगह आराम से तैनात किया जा सकता है. इसकी लंबाई 19 फिट है. यह अपने साथ 60 किलों विस्फोटक ले जा सकता है. पिछले साल ही डीआरडीओ ने आकाश NG का सफल परिक्षण किया था. यह परिक्षण हर पैमाने पर खरी उतरी थी.फिलहाल भारतीय सेना के आकाश मिसाइल सिस्टम की 3 रेजिमेंट है. हर रेजिमेंट में 3 बैटरी हैं. हर बैटरी में 4 लॉन्चर होते है. हर लॉंन्चर में 3 आकाश मिसाइल मौजूद होती है. आकाश एक शॉर्ट रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल है. यह पूरी तरह से स्वदेशी है. एक साथ यह कई सारे टार्गेट को एंगेज कर सकती है.

क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल डील जल्द 
क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) सिस्टम को डीआरडीओ द्वारा विकसित की जा रही है. इसका रेंज 30 किलोमीटर है. सेना के लिए यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण आवश्यकता है. डीजी एयर डिफेंस प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने बताया’हम उम्मीद कर रहे हैं कि अलगे 4 से 5 महीने में एग्रिमेंट पर दस्तखत हो जाएंगे. DRDO ने कहा है कि एक बार एग्रिमेंट हो जाने के बाद 1 साल के अंदर पहला प्रोटोटाइप मॉडल तैयार हो जाएगा. 18 महीने के अंदर इसका प्रोडक्शन शुरू हो सकता है.

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