चंद्रयान-3 मिशन ने खोले चांद के गहरे राज, कई हिस्सों पर हो सकती है बर्फ!

चंद्रयान-3 मिशन के डेटा को स्टडी करने के बाद वैज्ञानिक कह रहे हैं कि चांद की सतह पर तापमान में होने वाला हल्का सा बदलाव भी बर्फ बनने की प्रकिया को प्रभावित कर सकता है। अहमदाबाद में फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री में फैकल्टी, और स्टडी के प्रमुख लेखक दुर्गा प्रसाद करणम के अनुसार, बर्फ के इन कणों को देखा जाए तो ये अपने जन्म और इतिहास की विभिन्न कहानियां कहते नजर आते हैं।
यह बता सकता है कि कैसे चांद की सतह पर बर्फ जमा होने की प्रक्रिया हुई और वक्त के साथ यह बर्फ कैसे अपनी जगह बदलती गई। इस तरह इन कणों की स्टडी करके पता लगाया जा सकता है कि पृथ्वी के इस प्राकृतिक उपग्रह पर शुरुआती भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं कैसी रही होंगीं। स्टडी को Communications Earth and Environment जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने चंद्रमा की सतह, और उसके नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई पर मापे गए तापमान का विश्लेषण किया। माप चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर लगे ‘चैस्टे’ (ChaSTE) द्वारा लिए गए थे। लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र के किनारे पर लगभग 69 डिग्री दक्षिण अक्षांश पर लैंडिंग की। इस लैंडिंग साइट पर सूर्य की ओर ढलान है जो छह डिग्री के कोण पर है।
यहां पर लेखकों ने पाया कि तापमान दिन के समय लगभग 82 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया और रात में -170 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। इस तरह से तापमान के इस अंतर के आधार पर टीम ने एक मॉडल विकसित किया कि किस प्रकार ढलान का कोण, उच्च चंद्र अक्षांश पर सतह के तापमान को प्रभावित कर सकता है। यानी सतह पर सूर्य के संदर्भ में क्या कोण बनता है, यह सतह के तापमान को बहुत प्रभावित करता है।
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