खेती छोड़ो, ये खाद बेचो! सालाना 4 लाख तक की पक्की कमाई…हर महीने मिलेगा पैसा

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Organic fertilizer: वर्मीकम्पोस्ट खाद का व्यवसाय किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफे का जरिया बन रहा है. गुजरात के किसान हर साल 4 लाख रुपये तक कमा रहे हैं। इस जैविक खाद की बढ़ती मांग इसे एक फायदे का सौदा ब…और पढ़ें

वर्मीकम्पोस्ट खाद
गुजरात के मेहसाणा जिले में खेती और पशुपालन से जुड़े किसान अब वर्मीकम्पोस्ट खाद के व्यवसाय से अच्छी आमदनी कर रहे हैं. वर्मीकम्पोस्ट एक जैविक खाद है, जिसे केंचुओं की मदद से तैयार किया जाता है. यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के साथ ही फसलों की गुणवत्ता में सुधार करता है. बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे यह व्यवसाय किसानों के लिए मुनाफे का सौदा बन गया है. वर्तमान में 50 किलोग्राम वर्मीकम्पोस्ट खाद का एक बैग 350 से 400 रुपये तक बिक रहा है.
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
वर्मीकम्पोस्ट खाद का उत्पादन बेहद आसान है और इसके लिए ज्यादा पूंजी की जरूरत नहीं होती. एक बेड में 200 किलोग्राम गोबर डालकर लगभग 700 किलोग्राम खाद तैयार की जा सकती है. मेहसाणा जिले के सतलासना तालुका में रहने वाले प्रगतिशील किसान इस व्यवसाय से हर साल 4 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं. खास बात यह है कि इस व्यवसाय में लागत कम आती है और मुनाफा ज्यादा होता है.
तीन महीने में तैयार होती है खाद
हिम्मतपुरा गांव के किसान चौधरी लालजीभाई पिछले तीन वर्षों से वर्मीकम्पोस्ट खाद का उत्पादन कर रहे हैं. उनके पास वर्तमान में 13 बेड हैं, जिनसे वे सालाना 4 से 4.5 लाख रुपये तक कमा रहे हैं. उन्होंने बताया कि खाद बनाने के लिए सबसे पहले बेड के निचले हिस्से में सूखे पत्ते, घास या खेत का सूखा कचरा डाला जाता है. इसके बाद 20-30 दिन पुराना ठंडा किया हुआ गोबर डाला जाता है. जब तापमान सामान्य हो जाता है, तब इसमें केंचुए डाले जाते हैं. तीन महीने के भीतर यह खाद पूरी तरह तैयार हो जाती है.
कैसे होती है कमाई?
किसान लालजीभाई बताते हैं कि एक बेड में 2000 किलो गोबर से 700 किलो वर्मीकम्पोस्ट खाद तैयार होती है. वह इसे 350 रुपये प्रति बैग की दर से बेचते हैं. सालभर में वह करीब 1200 से 1300 बैग बेचते हैं. जब उन्होंने दो-तीन साल पहले यह व्यवसाय शुरू किया था, तब बेड बनाने में 60,000 रुपये की लागत आई थी. आज वह हर साल 4 लाख रुपये से ज्यादा कमा रहे हैं.
गर्मी सहन करने वाले केंचुओं का चयन जरूरी
वर्मीकम्पोस्ट खाद के लिए केंचुओं का सही चयन करना बहुत जरूरी होता है. लालजीभाई बताते हैं कि उनके क्षेत्र में गर्मी ज्यादा पड़ती है, इसलिए उन्होंने पंजाब से 20 किलो ऐसे केंचुए मंगवाए थे, जो 45 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी सहन कर सकते हैं. इसके अलावा, खाद डालने से पहले उसे ठंडा करना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि हरी खाद से निकलने वाली मीथेन गैस केंचुओं को नुकसान पहुंचा सकती है.
