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क्या है अनुच्छेद 19 (1) (ए), जो करता है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात

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Freedom of Expression: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस को इमरान प्रतापगढ़ी की कविता पर एफआईआर दर्ज करने पर लताड़ लगाई और अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व को समझना चाहिए.

क्या है अनुच्छेद 19 (1) (ए), जो करता है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत, देश के सभी नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी मिलती है.

हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने इमरान प्रतापगढ़ी के मामले में गुजरात पुलिस को फटकार लगाई
  • संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करता है
  • इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ एफआईआर पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

Freedom of Expression: गुजरात के जामनगर में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह के दौरान कथित भड़काऊ गीत के लिए कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ तीन जनवरी को एक एफआईआर दर्ज की गई थी. इमरान प्रतापगढ़ी ने एफआईआर रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार सुनवाई हुई. गुजरात पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. वहीं, इमरान प्रतापगढ़ी की ओर से सीनियर वकील और कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्‍बल ने दलील रखी.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दी नसीहत?
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस को नसीहत देते हुए कहा कि संविधान लागू होने के 75 साल बाद तो कम से कम पुलिस को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समझना चाहिए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘सड़क छाप’ किस्म की कविता थी और इसे फैज अहमद फैज जैसे प्रसिद्ध शायर और लेखक से नहीं जोड़ा जा सकता. उन्होंने कहा, ‘‘(सांसद के) वीडियो संदेश ने परेशानी पैदा की.”

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गुजरात पुलिस को लगाई फटकार
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को संरक्षित करने के महत्व को रेखांकित किया. न्यायमूर्ति ओका ने कहा, ‘‘जब बोलने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात आती है, तो इसे संरक्षित करना होगा. प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस को कुछ संवेदनशीलता दिखानी होगी. उन्हें (संविधान के अनुच्छेद को) पढ़ना और समझना चाहिए. संविधान लागू होने के 75 साल बाद, अब तो कम से कम पुलिस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समझना होगा.”

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क्या है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत, देश के सभी नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी मिलती है. इस अनुच्छेद के तहत, नागरिक अपने विचारों और विश्वासों को मौखिक रूप से, लेखन के जरिए, मुद्रण, चित्र या किसी अन्य तरीके से व्यक्त कर सकते हैं. अनुच्छेद 19(1)(बी) में सभी नागरिकों को बिना हथियार के शांतिपूर्ण रूप से एकत्रित होने का मौलिक अधिकार प्रदान है. इस प्रकार विरोध के अधिकार को संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है.

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संविधान के अनुच्छेद- 19(1)(ए) और 19(1)(बी) के तहत ऊपर बताए गए अधिकार अपने दायरे में अछूते और असीमित नहीं हैं. इन पर भी युक्तिपूर्ण तरीके से प्रतिबंध लगाए गए हैं. राज्य दो आधारों पर एकत्रित होने के अधिकार पर प्रतिबंध लगा सकता है- 1 भारत की संप्रभुता और अखंडता, 2 संबंधित क्षेत्र में यातायात के रखरखाव सहित सार्वजनिक व्यवस्था.

क्या है भारतीय संविधान में अनुच्छेद 19
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 एक मौलिक अधिकार है जो भारत के नागरिकों को स्वतंत्रता का अधिकार देता है. इसमें मुख्य रूप से 6 प्रकार की स्वतंत्रताएं शामिल हैं, जिनमें
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
शांतिपूर्वक इकट्ठा होने की स्वतंत्रता
संघ बनाने की स्वतंत्रता
आंदोलन की स्वतंत्रता
देश के किसी भी हिस्से में रहने और बसने की स्वतंत्रता शामिल है.

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देश के सभी नागरिकों के लिए बनाए गए यह अधिकार एक लोकतांत्रिक समाज के कामकाज और व्यक्तिगत अधिकारों व स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं. अनुच्छेद 19 भारत में लोकतंत्र और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के सिद्धांतों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

अनुच्छेद 19 का इतिहास
1947 में भारत को आजादी मिलने से पहले जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था, उस समय ब्रिटिश सरकार ने बहुत सारे ऐसे कानून और नियम बनाए जिन्होंने भारतीय लोगों की नागरिक स्वतंत्रता को पूरी तरीके से खत्म कर दिया था. अंग्रेजों द्वारा भारत के लोगों पर नियंत्रण करने के लिए भाषण और अभिव्यक्ति, सभा और संघ की स्वतंत्रता को अक्सर दबा दिया जाता था. महात्मा गांधी, जवाहलाल नेहरू और अन्य नेताओं के नेतृत्व में भारत की आजादी के आंदोलन का उद्देश्य न केवल ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था बल्कि एक लोकतांत्रिक और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करना भी था.

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आजादी प्राप्त करने के बाद भारत ने राष्ट्र पर शासन करने के लिए एक नए संविधान का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की. डॉ. बी.आर. की अध्यक्षता में संविधान सभा ने संविधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारतीय लोग लंबे समय से जिस स्वतंत्रता के लिए तरस रहे थे, उसे स्थापित करने और उसकी रक्षा करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 19 को शामिल किया गया था.

अनुच्छेद 19 के तहत छह स्वतंत्रताएं क्या हैं?
अनुच्छेद 19 के तहत छह दी जाने वाली छह स्वतंत्रताएं इस प्रकार है:-

भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:– यह भारतीय नागरिकों को भाषण, लेखन, मुद्रण और संचार के अन्य रूपों जैसे विभिन्न माध्यमों के माध्यम से अपने विचारों, राय, विचारों को व्यक्त करने की आजादी देता है.

शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा होने की स्वतंत्रता:– देश के सभी नागरिकों को सार्वजनिक व्यवस्था, सुरक्षा और नैतिकता के हित में राज्य द्वारा लगाए गए उचित प्रतिबंधों के अधीन बिना हथियारों के किसी जगह पर शांतिपूर्वक तरीके से इकट्ठा होने का अधिकार है.

संघ या यूनियन बनाने की स्वतंत्रता:– यह नागरिकों को संघ, या संगठन बनाने की अनुमति देता है, जो राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक कई प्रकार के हो सकते हैं.

भारत के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से घूमने की स्वतंत्रता:– भारतीय नागरिकों को सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या दूसरों के अधिकार की सुरक्षा के लिए राज्य द्वारा लगाए गए उचित प्रतिबंधों के अधीन, देश के भीतर स्वतंत्र रूप से घूमने का अधिकार है.

भारत के किसी भी हिस्से में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता:– यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि नागरिक भारत के किसी भी हिस्से में निवास कर सकते है और बस सकते हैं. 

किसी भी पेशे, व्यवसाय, व्यापार या व्यवसाय को अपनाने की स्वतंत्रता:– इसके तहत देश के सभी नागरिकों को किसी भी पेशे, व्यवसाय, व्यापार को चुनने और करने का अधिकार है.

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