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क्या सोनिया-राहुल के केस में ED ने कर दी चूक? लालू-केजरीवाल मामले से कितना अलग

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Sonia Gandhi Rahul Gandhi ED: नेशनल हेराल्ड केस में ईडी ने सोनिया और राहुल गांधी पर चार्जशीट दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी नहीं ली. यह चूक गांधी परिवार के कानूनी बचाव में मदद कर सकती है.

क्या सोनिया-राहुल के केस में ED ने कर दी चूक? लालू-केजरीवाल मामले से कितना अलग

ईडी ने नेशनल हेराल्‍ड केस में सोन‍िया गांधी और राहुल गांधी का नाम लिया.

हाइलाइट्स

  • ईडी ने सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी बिना चार्जशीट दायर की.
  • राहुल-सोनिया गांधी को कानूनी बचाव में मदद मिल सकती है.
  • चार्जशीट 15 अप्रैल को अदालत में पेश होगी.

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की टेंशन बढ़ी हुई है. बीते दिनों ईडी ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर चार्जशीट दायर की. मगर ऐसा लगता है कि ईडी ने एक चूक कर दी है. इससे कांग्रेस के पूर्व चीफ और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को बचाव का मौका मिल सकता है. जी हां, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को जनप्रतिनिधियों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने से पहले मंजूरी लेने का आदेश दिया था. मगर ईडी ने ऐसा नहीं किया है. यही वह चूक है, जिससे राहुल-सोनिया गांधी की टेंशन कम हो सकती है. ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ 9 अप्रैल को चार्जशीट दायर की.

एचटी की खबर के मुताबिक, ईडी ने इसलिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर बिना सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के चार्जशीट दायर की है, क्योंकि एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड और यंग इंडिया मामले में कथित अनिमितताओं का सांसद के रूप में उनकी भूमिका से कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि, कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से पूर्व अनुमति नहीं लेना ही गांधी परिवार के कानूनी बचाव का एक बड़ा हिस्सा हो सकता है.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
यहां जानना जरूरी है कि नवंबर 2024 सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया था. उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 197 (1)- जिसके तहत मौजूदा वक्त में सीबीआई को अनिवार्य रूप से पूर्व स्वीकृति लेनी होती है- मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) मामलों में भी लागू होगी. सीआरपीसी की धारा 197 (1) को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 218 से बदल दिया गया है और इसमें समान प्रावधान हैं.

ईडी ने क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ई़डी डायरेक्टर राहुल नवीन ने वित्तीय अपराध जांच एजेंसी की सभी इकाइयों को निर्देश जारी किया कि वे अभियोजन शिकायतें (ईडी के चार्जशीट के बराबर) दायर करने से पहले लोक सेवकों के खिलाफ बिना किसी पूर्वाग्रह के अनिवार्य रूप से मंजूरी लें. यही वजह है कि ईडी पहले ही लालू प्रसाद यादव (जमीन के बदले नौकरी के मामले में), अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया (दिल्ली शराब घोटाला) और पी चिदंबरम (आईएनएक्स मीडिया मामले में) के खिलाफ अपनी जांच में मंजूरी ले चुकी है.

क्या मंजूरी लेने की जरूरत नहीं थी?
अब सवाल है कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी सांसद हैं, ऐसे में ईडी को चार्जशीट दायर करने से पहले लोकसभा स्पीकर और उपराष्ट्रपति से मंजूरी लेने की जरूरत थी या नहीं? ईडी सूत्रों का कहना है कि एजेएल का मामला निजी व्यक्तियों के रूप में यंग इंडिया के निदेशक के रूप में उनकी भूमिका से संबंधित है. इन आरोपों का संसद सदस्य के रूप में उनकी हैसियत से कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए मंजूरी की जरूरत नहीं थी. चार्जशीट राउज एवेन्यू स्थित प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) की अदालत में दाखिल की गई है. इसके बाद यह जज चार्जशीट को संबंधित जज के पास भेजते हैं. इस मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को होगी.

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