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क्या निमोनिया की वैक्सीन HMPV का खतरा कम कर सकती है,जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर्स

Pneumonia Vaccine in HMPV : देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस इंफेक्शन के बढ़ते केस के बीच इस वायरस को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. इस संक्रमण में फ्लू या सर्दी जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं. मरीजों में बुखार, खांसी और नाक बंद होने जैसी समस्याएं हो रही हैं. बच्चों, बुजुर्गों या कमजोर इम्यून सिस्टम वालों में सांस से जुड़ा संक्रमण हो रहा है. इससे निमोनिया (Pneumonia) का भी खतरा बढ़ रहा है. जिसमें सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि क्या निमोनिया की वैक्सीन लगवाने से HMPV इंफेक्शन का खतरा कम हो सकता है. आइए जानते हैं जवाब…

निमोनिया का टीका HMPV में कितना कारगर

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि निमोनिया का टीका बेहद जरूरी है. खासकर एचएमपीवी जैसे सांस से जुड़े इंफेक्शन में. निमोनिया एक जानलेवा संक्रमण है, जो बच्चों, बुजुर्गों और पुरानी बीमारी की वजह से कमजोर इम्यूनिटी वालों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. वैक्सीन गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और निमोनिया से होने वाली मौत के जोखिम को काफी कम कर देता है.

निमोनिया की कितनी वैक्सीन है

निमोनिया की वैक्सीन स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया से बचाते हैं, जो बैक्टीरियल निमोनिया का एक प्रमुख कारण है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसकी दो वैक्सीन उपलब्ध है. न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (PCV) और न्यूमोकोकल पॉलीसेकेराइड वैक्सीन (PPSV). पीसीवी वैक्सीन आमतौर पर दो साल से कम उम्र के बच्चों, बड़े वयस्कों और संक्रमण के हाई रिस्क वालों को लगाई जाती है. पीपीएसवी 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों और कुछ गंभीर कंडीशन में दी जाती है.

 

कैसे काम करती है निमोनिया वैक्सीन

60 साल या उससे ज्यादा उम्र वालों, कमजोर इम्यून सिस्टम और उम्र से जुड़ी कमजोरियों वाले लोगों में निमोनिया वैक्सीन ज्यादा असरदार हो सकती है. इसे लगाने से निमोनिया से होने वाली मौत के खतरे को काफी कम किया जा सकता है. इसके लिए साल में फ्लू शॉट्स की सलाह दी जाती है, क्योंकि इन्फ्लूएंजा सेकेंडरी बैक्टीरिया निमोनिया के लिए ट्रिगर के तौर पर काम कर सकता है, जिससे रिस्क बढ़ जाता है.

क्या HMPV से बचा सकती है निमोनिया की वैक्सीन

डॉक्टर्स का कहना है कि निमोनिया की वैक्सीन एचएमपीवी जैसे वायरल इंफेक्शन को सीधे तौर पर नहीं रोकते हैं, लेकिन वे सेकेंडरी बैक्टीरिया निमोनिया जैसे खतरों को कम करने में अहम होल निभाते हैं, जो वायरल इंफेक्शन के बाद हो सकते हैं. इसलिए एचएमपीवी के बढ़ने पर इसका महत्व बढ़ गया है. हालांकि, इसे लगवाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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