कैसे मिलती है महामंडलेश्वर उपाधि, जो किन्नर अखाड़े ने ममता कुलकर्णी को दी

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Mamta kulkarni Become Mahamandaleshwar: ममता कुलकर्णी ने बॉलीवुड छोड़कर आध्यात्मिक जीवन अपनाया और प्रयागराज महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं. अब वे माई ममता नंद गिरि के नाम से जानी जाएंगी.

महामंडलेश्वर बनने वाले व्यक्ति का पंचामृत (दूध, घी, शहद, दही और चीनी का मिश्रण) से अभिषेक किया जाता है,
हाइलाइट्स
- ममता कुलकर्णी को प्रदान की गई किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि
- फिल्म एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी अब यमाई ममता नंद गिरि के नाम से जानी जाएंगी
- किसी भी व्यक्ति के लिए महामंडलेश्वर बनने के लिए संन्यास और पिंडदान जरूरी
Mamta kulkarni Become Mahamandaleshwar: फिल्म एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने बॉलीवुड की रंगीन जिंदगी को छोड़कर आध्यात्मिक जीवन की राह अपना ली है. उन्होंने शुक्रवार को प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि ग्रहण की. अखाड़े के आचार्यों ने उनका पट्टाभिषेक किया. 53 वर्षीय ममता कुलकर्णी अब यमाई ममता नंद गिरि के नाम से जानी जाएंगी.
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर किन्नर अखाड़े ने गोपनीयता बनाए रखी थी. ममता कुलकर्णी शुक्रवार सुबह महाकुंभ में किन्नर अखाड़े में पहुंचीं. वहां उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मुलाकात की. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी का परिचय अखिल भारतीय अखाड़े के अध्यक्ष रविंद्र पुरी से कराया. इससे पहले ममता कुलकर्णी और लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी के बीच महामंडलेश्वर बनने को लेकर सहमति बन चुकी थी. इसके बाद किन्नर अखाड़े ने उन्हें यह उपाधि देने का ऐलान किया.
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किन्नर अखाड़ा आध्यात्मिक और धार्मिक संगठनों में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है. यह ट्रांसजेंडर समुदाय के उपेक्षित वर्ग को सामाजिक और धार्मिक सम्मान दिलाने का प्रयास करता है. ममता कुलकर्णी का इसमें शामिल होना न केवल अखाड़े के लिए बल्कि आध्यात्मिकता में उनकी व्यक्तिगत रुचि को भी दर्शाता है. किन्नर अखाड़े की स्थापना साल 2015 में की गई थी.
सम्मानित उपाधि है महामंडलेश्वर
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक महामंडलेश्वर शब्द हिंदू धर्म में एक सम्मानित पदनाम है, खासकर सनातन धर्म में. उसके अनुसार यह भारत के 13 मान्यता प्राप्त अखाड़ों (मठवासी संप्रदायों) के भीतर प्रदान की जाने वाली उपाधि है. ये अखाड़े महत्वपूर्ण आध्यात्मिक संस्थान हैं जो हिंदू परंपराओं, दर्शन और मठवासी अनुशासन की रक्षा करते हैं, इन संप्रदायों में सर्वोच्च पद शंकराचार्य का है, महामंडलेश्वर की उपाधि भी अत्यधिक सम्मानित है, जो शंकराचार्य के ठीक नीचे होती है.” एक बार दीक्षा लेने के बाद, महामंडलेश्वर से अपेक्षा की जाती है कि वह “आध्यात्मिकता के मार्ग पर चले, अपने परिवार के नाम सहित अपनी पिछली पहचान को पीछे छोड़ दे और मानवता की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दे.” यह एक ऐसी उपाधि है जो आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है.
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पहले किसी अखाड़े से जुड़ना जरूरी
महामंडलेश्वर बनने के लिए सबसे पहले किसी मान्यता प्राप्त अखाड़े से जुड़ना और उसके खास नियमों का पालन करना जरूरी है. धार्मिक परंपराओं के एक जानकार ने कहा, “हालांकि, मुख्य योग्यता संन्यास लेने में निहित है. इस प्रक्रिया में पुनर्जन्म का प्रतीकात्मक कार्य शामिल है, जहां संन्यास लेने वाला व्यक्ति अपना पिंडदान करता है. यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो आमतौर पर मृत पूर्वजों के लिए किया जाता है. यह व्यक्ति के पारिवारिक दायित्वों और उनकी पिछली पहचान सहित उनके सांसारिक संबंधों के अंत का प्रतीक है. इसके बाद, उनका नया जीवन शुरू होता है. यानी संन्यास में दीक्षा के क्षण से यह नए सिरे से शुरू होता है.” ममता पिछले दो वर्षों से जूना अखाड़ा से जुड़ी रही थीं. वह दो-तीन महीने पहले किन्नर अखाड़े के संपर्क में आई थीं.
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पट्टाभिषेक एक महत्वपूर्ण समारोह
पट्टाभिषेक संन्यास के बाद होने वाला एक महत्वपूर्ण समारोह है. इस अनुष्ठान में महामंडलेश्वर बनने वाले व्यक्ति का पंचामृत (दूध, घी, शहद, दही और चीनी का मिश्रण) से अभिषेक किया जाता है, जो शुद्धिकरण और आध्यात्मिक पदानुक्रम में उनके उत्थान का प्रतीक है. इस भव्य समारोह में सभी 13 अखाड़ों के साधु शामिल होते हैं, जहां वे औपचारिक रूप से उम्मीदवार को पट्टू (एक प्रतीकात्मक वस्त्र) प्रदान करते हैं, जो महामंडलेश्वर के रूप में उनकी आधिकारिक मान्यता को दर्शाता है. हालांकि इस उपाधि के लिए औपचारिक शैक्षणिक योग्यता की जरूरत नहीं है. लेकिन माना जाता है कि वेदों का ज्ञान और किसी मठ (आध्यात्मिक पीठ) से संबंध होना आवश्यक है.
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लक्ष्मी नारायण बनी थीं पहली महामंडलेश्वर
13 अक्टूबर 2015 को ऋषि अजयदास ने किन्नर अखाड़े की स्थापनी की थी. शुरुआत में उनके अखाड़े को अखाड़ा परिषद ने मान्यता प्रदान नहीं की थी. 2 मई 2016 को अजयदास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े की पहला महामंडलेश्वर बनाया था. महामंडलेश्वर बनने के बाद आचार्य लक्ष्मी नारायण ने पांच शहरों से आए किन्नरों को भी पीठाधीश्वर बनाया. उस समय लक्ष्मी नारायण ने कहा था कि महामंडलेश्वर बनने के बाद भी मैं जैसी हूं, वैसी ही रहूंगी. कोई पाखंड नहीं करूंगी.
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ममता कुलकर्णी का फिल्मी जीवन
90 के दशक में ममता कुलकर्णी के पास काफी काम था. वह उस समय की सबसे ज्यादा डिमांडिंग एक्ट्रेसेस में से एक थीं. करण अर्जुन, चाइना गेट, तिरंगा, आशिक आवारा, क्रांतिवीर, बाजी, सबसे बड़ा खिलाड़ी, पुलिसवाला गुंडा और कई अन्य फिल्मों से ममता ने लाखों दिलों पर राज किया. हालांकि, बाद में ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी के साथ नाम जुड़ने के बाद उनके करियर में दिक्कत आ गई थी. करीब 25 सालों से वह विदेश में रह रही थीं.
New Delhi,Delhi
January 25, 2025, 18:47 IST
