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कई साल है पुराना, चमत्कारी है ये छत्तीसगढ़ का काली माई मंदिर, जानें इसके रहस्य

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Siddhpeeth Kali Maa Mandir Rajnandgaon Chhattisgarh: शहर के भरकापारा स्थित सिद्ध पीठ मां काली माई का मंदिर 100 साल से ज्यादा पुराना है. यहां दोनों नवरात्रि पर्व पर विशेष ज्योति कलश की स्थापना होती है, इसके साथ…और पढ़ें

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काली

काली माई मंदिर

हाइलाइट्स

  • राजनांदगांव का काली माई मंदिर 100 साल से भी पुराना है
  • नवरात्रि पर विशेष ज्योति कलश की स्थापना होती है
  • मंदिर में दर्शन से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है

राजनांदगांव- शहर के भरकापारा स्थित सिद्ध पीठ मां काली माई का मंदिर काफी प्राचीन है. यह मंदिर 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. इस मंदिर में माता काली विराजमान हैं. भक्तों का मानना है यहां मां हर मनोकामना पूर्ण करती हैं. दोनों नवरात्रि पर्व पर भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और ज्योति कलश की स्थापना की जाती है.

आपको बता दें, राजनांदगांव ऐतिहासिक शहर है. राजा महाराजाओं के जमाने से ही यहां कई मंदिर और ऐतिहासिक स्थान हैं, वहीं शहर के भरकापारा स्थित सिद्ध पीठ मां काली माई मंदिर की अपनी एक अलग मान्यता है. यहां मां काली की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है और दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं. यह मंदिर 100 साल से भी अधिक पुराना है. यहां मां काली के दर्शन मात्र से ही मनोकामना पूर्ण होती है. मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना कर प्रदेश के पहले मंडई मेला की शुरुआत होती है, जो हर साल लगता है. ऐसी मान्यता है, कि मां काली के आशीर्वाद से ही इस मंडई की शुरुआत होती है, जिसके बाद पूरे छत्तीसगढ़ में मंडई मेला का आयोजन होता है.

भक्त ने दी जानकारी
वही मंदिर को लेकर स्थानीय नागरिक व भक्त संजय शर्मा ने लोकल 18 को बताया, कि यह प्राचीन सिद्ध पीठ मां काली माई मंदिर है. शहर के शीतला मंदिर के बाद दूसरा मंदिर यह है, जहां दोनों नवरात्रि पर विशेष ज्योति कलश की स्थापना की जाती है, जो 500 से साढ़े 500 तक होते हैं. वे आगे बताते हैं, कि हम बचपन से ही इस सिद्ध पीठ मंदिर में आ रहे हैं. यहां सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. विदेशों से भी ज्योति कलश यहां बिठाया जाता है. आगे वे बताते हैं, कि दोनों नवरात्र पर्व पर जो भक्त डोंगरगढ़ पदयात्रा में जाते हैं वह भक्त यहां जरूर आते हैं. वहीं विशाल रूप से ज्योति कलश यात्रा यहां से निकलती है जो, कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों से निकलती है. इसके साथ ही चुनरी यात्रा भी यहां से निकाली जाती है. वे बताते हैं, मां काली की मंडई यहां हर साल होती है जो छत्तीसगढ़ में प्रथम मंडई के रूप में मानी जाती है.

क्या है इस सिद्धपीठ काली माई मंदिर की मान्यता
मां काली के इस मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना भक्तों द्वारा की जाती है, जो भी भक्त यहां पहुंचते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. मंदिर को भव्य रूप में बनाया गया है. दोनों नवरात्रि पर्व पर विशेष ज्योति कलश की स्थापना होती है, इसके साथ ही विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. प्रत्येक दिन विशेष श्रृंगार और पूजा अर्चना मां काली की जाती है. वहीं दूर-दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं और माता के दर्शन करते हैं.

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कई साल है पुराना, चमत्कारी है ये छत्तीसगढ़ का काली माई मंदिर, जानें इसके रहस्य

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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