औरंगजेब ने टोपियां बुनकर कमाए पैसे, 14 रुपये में बनी कब्र! जहां सिर्फ एक पौधा

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Aurangzeb’s Tomb: मुगल बादशाह औरंगजेब की मौत अहमदनगर के पास हुई थी. लेकिन उनकी कब्र खुलताबाद में बनाई गई, तो चलिए इसके बारे में इतिहासकार से जानते हैं…

औरंगजेब की कब्र का इतिहास: खुलताबाद में क्यों बनाई गई?
हाइलाइट्स
- औरंगजेब की कब्र खुलताबाद में बनाई गई.
- कब्र बनाने के लिए औरंगजेब ने टोपियां बुनकर पैसे कमाए.
- कब्र पर केवल एक सब्जा का पौधा है.
छत्रपति संभाजीनगर: वर्तमान में मुगल बादशाह औरंगजेब की खुलताबाद स्थित कब्र को लेकर राज्य में माहौल गर्म है, लेकिन औरंगजेब की मौत खुलताबाद में नहीं हुई थी. उसकी मृत्यु अहमदनगर के पास भिंगार में हुई थी. फिर भी, उनकी कब्र औरंगाबाद के पास खुलताबाद में बनाई गई. इसके पीछे भी एक इतिहास है. इस बारे में छत्रपति संभाजीनगर के इतिहासकार डॉ. गणी पटेल से जानते हैं…
औरंगजेब मुगल सम्राट शाहजहां और मुमताज का तीसरा बेटा था. उसका पूरा नाम ‘अबुल मुझफ्फर मुई-उद-दिन मुहम्मद’ था. 3 नवंबर 1618 को गुजरात में औरंगजेब का जन्म हुआ. तत्कालीन हिंदुस्तान पर 49 साल राज करने वाले औरंगजेब का अंत भयानक हुआ. 3 मार्च 1707 को 89 साल की उम्र में अहमदनगर के भिंगार में उसकी वृद्धावस्था और निराशा से मृत्यु हो गई.
कब्र खुलताबाद में क्यों?
इतिहासकार डॉ. गणी पटेल ने बताया कि अहमदनगर में मृत्यु के बाद औरंगजेब को औरंगाबाद के खुलताबाद लाया गया. औरंगजेब सूफी संत शेख जैनुद्दीन को गुरु मानता था. उनकी दरगाह के परिसर में ही मरने के बाद दफन होने की उसकी इच्छा थी. इसके अनुसार, बेटे आजमशाह ने खुलताबाद में जैनुद्दीन सिराजी की कब्र के पास ही औरंगजेब को दफन किया और कब्र बनाई.
औरंगजेब का वसीयतनामा
औरंगजेब को अपनी मौत का आभास होने के बाद उसने अपना वसीयतनामा तैयार कर रखा था. उसमें उसने अपने दफन विधि और कब्र के बारे में लिखा था. उसमें लिखा था कि अंतिम संस्कार बिना किसी धूमधाम के किया जाए. समाधि भी एकदम साधारण तरीके से बनाई जाए. अंतिम संस्कार औरंगजेब की खुद की कमाई के पैसों से किए जाएं.
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कैसी है औरंगजेब की कब्र?
औरंगजेब की इच्छा का सम्मान करते हुए बेटे आजमशाह ने मात्र 14 रुपये 12 आने में उसकी कब्र बनाई. ये पैसे औरंगजेब ने खुद टोपियां बुनकर और बेचकर कमाए थे. इसलिए औरंगजेब की कब्र छत्रपति संभाजीनगर के पास खुलताबाद में है. कब्र बहुत साधारण तरीके से बनाई गई है. इस कब्र पर औरंगजेब की इच्छा के अनुसार केवल एक सब्जा का पौधा है. इसके ऊपर कोई छत नहीं है.
