उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के पहले ये इलेक्शन होंगे अहम, बीजेपी की ऐसी है हालत

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Uttarakhand News Today : उत्तराखंड में 2027 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नगर निकाय चुनाव बेहद अहम माने जा रहे हैं. इन्हें सेमी फायनल कहा जा रहा है. राज्य में बीजेपी को चुनौती दे रही कांग्रेस…और पढ़ें

उत्तराखंड में वापसी कर पाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है.
अनुपम त्रिवेदी
देहरादून. उत्तराखंड के नगर निकाय चुनाव के परिणाम सत्ताधारी बीजेपी और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के लिए लिए राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे. 2027 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नगर निकाय चुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा था. चुनाव के परिणाम बताते हैं कि बीजेपी को फिलहाल उत्तराखंड में कोई बड़ी दिक्कत नहीं है. अलबत्ता कांग्रेस के लिए अपनी खोई जमीन, खासकर मैदानी इलाकों में वापस पाना बड़ा चैलेंज लगातार बना हुआ है.
राज्य के 11 में से 10 नगर निगम बीजेपी की झोली में चले गए. जबकि श्रीनगर नगर निगम जहां निर्दलीय प्रत्याशी जीती है वो बीजेपी की बागी ही है. लिहाजा पार्टी का एक वर्ग इस सीट को भी अपना ही मान कर चल रहा है. प्रदेश के सबसे बड़े देहरादून निगम में बीजेपी की सबसे बड़ी जीत हुई है. यहां मेयर चुने के लिए सौरभ थपलियाल ने एक लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है. देहरादून जिले की बात करें तो कांग्रेस ने करीब 12 साल पहले जो अपनी जमीन खोनी शुरू की वो आज तक हासिल नहीं कर पाई. देहरादून महानगर बीजेपी का गढ़ बना हुआ है. चार विधानसभा आंशिक या पूरी देहरादून शहर में ही पड़ती है.
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मुस्लिम मतदाता वाले जिले में बीजेपी के लिए कुछ इलाके मजबूत
हरिद्वार जिला राजनीतिक प्रयोगशाला है. यहां रुड़की और हरिद्वार के मेयर बीजेपी के बन गए तो हरिद्वार ग्रामीण कई नगर निकाय, नगर परिषद में कांग्रेस बसपा निर्दलीय और भी पार्टी की झोली में चले गए. करीब 40 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता वाले जिले में बीजेपी के लिए कुछ इलाके मजबूत है. उधम सिंह नगर जिला भी बीजेपी के लिए खुशी लेकर आया है. यहां रुद्रपुर काशीपुर के मेयर बीजेपी के चुने गए हैं और कई नगर पालिका में पार्टी कैंडिडेट जीते हैं.
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कांग्रेस में कोऑर्डिनेशन की कमी, बीजेपी ने झोंकी थी ताकत
बीजेपी ने चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चुना था. उन्होंने सभी नगर निगमो में फोकस करने के अलावा कई अन्य सीटों पर भी धुआंधार प्रचार किया. सीएम के अलावा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और सांसद अनिल बलूनी, सांसद अजय भट्ट समेत कई दूसरे नेता प्रचार में जुटे रहे. बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस के नेता भी प्रचार में निकले तो सही लेकिन कोऑर्डिनेशन की कमी साफ दिखी. दोनों ही पार्टियों में कई नेता बागी भी हुए. जहां बीजेपी ने बागियों पर एक्शन लेने में देर नहीं की. वहीं कांग्रेस एक्शन को लेकर सिलेक्टिव दिखी. पार्टी ने कुछ छोटे नेताओं को तो निकाल बाहर किया. लेकिन खुलेआम बगावत करने वाले विधायक मयूर मेहर पर एक्शन को लेकर एक कदम आगे तो दो कदम पीछे वाली स्थिति में रही.
कांग्रेस सेकंड और थर्ड लाइन लीडरशिप को आगे नहीं बढ़ा पा रही
चुनावी पैटर्न की बात करें तो नैनीताल, पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी जैसे पहाड़ी जिलों में बीजेपी के अलावा, कांग्रेस और निर्दलियों को भी अच्छी सफलता मिली है. रिजल्ट्स की तस्वीर बताती है की पहाड़ की कई पॉकेट में कांग्रेस की स्वीकार्यता बनी हुई है. कांग्रेस इस बात से तो खुश है कि उसको चुकी हुई ताकत मनाना गलत होगा. लेकिन साथ ही पार्टी के बड़े नेता मानते हैं कि वोटर्स पर मेहनत और संगठन पर काम किए जाने की जरूरत है. कुछ समय पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व सीएम मुख्यमंत्री हरीश रावत ने न्यूज़ 18 से बातचीत में इस ओर इशारा किया था कि पार्टी सेकंड और थर्ड लाइन लीडरशिप को आगे नहीं बढ़ा पा रही है. जिसका फायदा बीजेपी को बिना किसी दिक्कत के मिल रहा है.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के गृह क्षेत्र में कांग्रेस ने बाजी मारी
इधर नगर निकायों में सफलता से गदगद बीजेपी, उन क्षेत्रों को लेकर भी चिंतित दिखती है जहां उसकी हार मिली है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि रिजल्ट्स को लेकर पार्टी समीक्षा करेगी और जो कदम उठाने की जरूरत होगी वहां उठाए जाएंगे. भट्ट का गृह क्षेत्र चमोली जिले में पड़ता है. यहां कांग्रेस, सत्ताधारी पार्टी पर भारी पड़ी है.
Dehradun,Dehradun,Uttarakhand
January 26, 2025, 16:27 IST
