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इस गांव में जमीन के लिए चलती थी गोलियां, अब कोर्ट-कचहरी का चक्कर हुआ खत्म

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Mirzapur News: यूपी के मिर्जापुर में नक्सल प्रभावित गांव खोराडीह में कभी गोलियां चलती थी. जमीन के मामले को लेकर लोग तहसील से लेकर जिला कोर्ट तक का चक्कर लगाते थे. अब गांव के सभी मामलों को ग्राम प्रधान महेश प्रस…और पढ़ें

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खोराडीह

खोराडीह गांव

हाइलाइट्स

  • मिर्जापुर के खोराडीह गांव में अब जमीन विवाद नहीं होते.
  • ग्राम प्रधान महेश प्रसाद की पहल से विवाद सुलझाए गए.
  • गांव में समिति बनाकर मामलों का निपटारा होता है.

मिर्जापुर: यूपी में मिर्जापुर के जिस गांव में जमीन के एक टुकड़े के लिए बंदूके निकाल ली जाती थी. जमीन के कई मुकदमें न्यायालय में विचाराधीन हैं. उस गांव के युवा ग्राम प्रधान ने तश्वीर ही बदल दी है. जमीनी मामलों को तहसील और कोर्ट से सुलझाने की बजाए आपसी बातचीत और तालमेल से खत्म कराने के लिए समिति का गठन हुआ. स्वयं ग्राम प्रधान इसके लिए आगे आए. प्रधान की पहल के बाद कई जमीनी मामलों को बातचीत से सुलझा लिया गया और ग्रामीण तहसील कोर्ट के चक्कर काटने से बच गए.

मिर्जापुर में राजगढ़ के खोराडीह गांव नक्सल प्रभावित गांव है. कभी गांव में गोलियों की गूंज सुनाई देती थी. गांव में पीएसी कैंप से हथियार लूटने जैसी घटना घट चुकी है. वहीं, जमीन को लेकर सबसे ज्यादा विवाद होते थे. आज युवा ग्राम प्रधान महेश प्रसाद की बदौलत गांव में मोहब्बत की फसल लहलहा रही है. गांव में संभ्रात व्यक्तियों की एक समिति बनाई गई है, जिसके माध्यम से जमीनी विवादों को बातचीत से हल कराया जा रहा है.

गांव में ही अब मामला होता है हल

ग्राम प्रधान महेश प्रसाद ने लोकल 18 से बताया कि पहले से उनकी ग्राम पंचायत में भूमि के काफी विवाद है. तहसील और कोर्ट का चक्कर लगाने से आय के साथ ही समय का नुकसान होता था. हम लोगों के द्वारा ही एक समिति बनाई गई है. समिति में पूर्व प्रधान रामेश्वर सिंह, अजय तिवारी, राममूर्ति गौतम, अलगू पटेल सहित अन्य लोगों को शामिल किया गया है. अब तक करीब 50 से अधिक मामलों को बातचीत से हल करा दिया गया है. कोशिश है कि नए मामले भी तहसील और कोर्ट में न उलझें. उन्हें भी समिति के द्वारा संतोष दिलाकर हल कराया जाता है.

2 सालों से चल रहा था विवाद

गांव के रहने वाले अनिल कुमार सिंह ने बताया कि दो सालों से विवाद चल रहा था. ग्राम प्रधान महेश प्रसाद और पूर्व प्रधान रामेश्वर सिंह के द्वारा समझौता करा दिया. अब कोई विवाद नहीं है. हमारी जमीन हमको वापस मिल गई है. अब कोई विवाद ही नहीं है. हम कई बार तहसील से लेकर कलेक्ट्रेट गए. हालांकि संतोषजनक समाधान नहीं हो रहा था. ग्राम प्रधान की पहल पर माममे का निपटारा हो गया.

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इस गांव में जमीन के लिए चलती थी गोलियां, अब कोर्ट-कचहरी का चक्कर हुआ खत्म

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