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आर्मी चीफ के सामने जवान ने मुंह में पेन फंसाया जो किया, हर कोई हक्‍का-बक्‍का

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भारतीय सेना का यह जवान लकवाग्रस्‍त है लेकिन इसके बावजूद भी वो जिंदादिली से अपनी जिंदगी को जी रहा है. उसने आर्मी चीफ की मौजूदगी में उनकी बेहद शानदार तस्‍वीर बनाई. मुंह में ब्रश फंसाकर उन्‍होंने यह कारनामा किया.

हाइलाइट्स

  • सेना का यह पूर्व जवान लकवाग्रस्‍त है.
  • उसने मुंह में ब्रश फंसाकर पेंटिंग बनाई.
  • पूर्व जवान ने आर्मी चीफ की पेंटिंग बनाई.

मुंबई. वो कहते हैं ना कि चाहे जितनी भी मुश्किल परिस्थिति क्‍यों ना हो, हमें हिम्‍मत नहीं हारनी चाहिए. भारत के एक जवान ने यही जज्‍बा दिखाया. ड्यूटी के दौरान एक दुर्घटना में लकवाग्रस्त हुए 37 वर्षीय रिटायर्ड सैन्य विमानकर्मी ने मुंह में ब्रश रखकर चित्र बनाया और हिम्मत, मेहनत व लगन के बल पर कुछ भी कर जाने का उदाहरण पेश किया है. लकुवाग्रस्त मृदुल घोष ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पुणे में ‘पैराप्लेजिक रिहैबिलिटेशन सेंटर (पीआरसी)’ में सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी को अपने मुंह में ब्रश रखकर बनाया गया उनका चित्र भेंट किया.

व्हीलचेयर पर बैठे घोष ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं अपने सेना प्रमुख का चित्र बनाकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. हालांकि मैं सेवानिवृत्त हो चुका हूं, लेकिन सशस्त्र बलों के साथ मेरा रिश्ता और लगाव कभी कम नहीं होगा.’’ घोष ने बताया कि 2010 में ड्यूटी के दौरान हुई एक दुर्घटना में घायल होने से उनके शरीर को लकवा मार गया था और इसके बाद वह वायु सेना से सेवानिवृत्त हो गए थे. वे 2015 में पीआरसी आए और यहां उन्हें चित्रकला के प्रति अपने प्रेम का पता चला, जबकि इस कला में उनका पूर्व में कोई इतिहास नहीं था. घोष ने कहा, ‘‘यहां आने के बाद मैंने मुंह से चित्र बनाने का अभ्यास करना शुरू किया और उसके बाद से केंद्र में छह अन्य साथी सैनिकों को भी यह सिखाना शुरू कर दिया.’’

रीढ़ की हड्डी में लगी थी चोट
सेना प्रमुख और उनकी पत्नी सुनीता द्विवेदी ने मंगलवार को पुणे के किरकी में रेंज हिल्स स्थित पीआरसी का दौरा किया. घोष ने कहा कि यह उनके लिए बहुत गर्व की बात है कि उन्हें सेना प्रमुख से मिलने और उन्हें वह चित्र भेंट करने का अवसर मिला. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हमारे परिसर में उनकी (सेना प्रमुख की) उपस्थिति की खुशी में यह कलाकृति बनाई है. इस चित्र को पूरा करने में मुझे सात से आठ दिन लगे.’’ यह केंद्र उन रक्षा कर्मियों के पुनर्वास के लिए जाना जाता है, जिन्हें राष्ट्र की सेवा करते समय रीढ़ की हड्डी में चोट लग चुकी है. यहां उनकी उचित देखभाल की जाती है और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से कई सुविधाएं प्रदान की जाती हैं.

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