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आपके आंतों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन, जानें इन दोनों के बीच का संबंध

आपके आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया इस प्रकार के यूरिनरी इन्फेक्शन्स को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, इन संक्रमणों के इलाज के लिए निर्धारित एंटीबायोटिक्स इस नाजुक संतुलन को बिगाड़ सकते हैं।

अगर आपको अक्सर यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन (यूटीआई) हो जाता है, तो आपको ये पता होना चाहिए कि संक्रमण अनहेल्दी इंटेस्टाइन के कारण फिर से हो सकता है। जी हां, यूटीआई और आंत स्वास्थ्य के बीच संबंध है। आपके आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया इस प्रकार के यूरिनरी इन्फेक्शन्स (urinary infection) को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, इन संक्रमणों के इलाज के लिए निर्धारित एंटीबायोटिक्स इस नाजुक संतुलन को बिगाड़ सकते हैं (can uti cause gut problems)। इससे पाचन संबंधी समस्याएं, अस्वस्थ आंत और यहां तक कि बार-बार मूत्र संक्रमण हो सकता है। इसलिए, अगर आप जल्दी जल्दी होने वाली यूटीआई से छुटकारा पाना चाहती हैं और साथ ही मूत्र और आंत दोनों के स्वास्थ्य को प्राकृतिक रूप से बनाए रखना चाहती हैं, तो यह एक दुष्चक्र है जिससे आपको निपटने के लिए कुछ आवश्यक रणनीतियों पर ध्यान देना होगा।

यूटीआई (UTI) क्या है?

मूत्र मार्ग संक्रमण एक बैक्टिरियल संक्रमण है जो मूत्राशय (सिस्टिटिस), मूत्रमार्ग (मूत्रमार्गशोथ), या गुर्दे (पायलोनेफ्राइटिस) सहित मूत्र प्रणाली को प्रभावित करता है। यूरोलॉजिस्ट डॉ. अविनाश अरोड़ा बताते हैं, “इस संक्रमण में पेशाब के दौरान जलन, औसत से ज़्यादा बार-बार पेशाब आना और पेट के निचले हिस्से में लगातार दर्द होने जैसे लक्षण नजर आते हैं।” अमेरिकन जर्नल ऑफ किडनी डिजीज में कहा गया है कि यूटीआई सबसे आम संक्रमणों में से एक है। इसका निदान यूरिनलिसिस और यूरिन कल्चर के माध्यम से किया जाता है।

UTI ka karan
इसके चलते यूरिन बार बार पास करना और वेजाइना के नज़दीक खुजली का सामना करना पड़ता है

क्या आंत की सेहत यूटीआई से संबंधित है (can uti cause gut problems)?

हां, यूटीआई में हमारी आंत की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आतों में माइक्रो बैक्टीरिया की एक वनस्पति मौजूद होती है, जो अच्छे और बुरे दोनों तरह के होते हैं। यदि आंत के माइक्रोबायोम संतुलित है, तो यह ई. कोलाई जैसे हानिकारक मूत्र बैक्टीरिया को नियंत्रण में रखने में मदद करती है। डॉ. अरोड़ा बताते हैं, “कोई भी असंतुलन, जो अक्सर अत्यधिक एंटीबायोटिक दवाओं, तनाव या खराब आहार के कारण होता है, खराब बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा दे सकता है, जो बढ़कर मूत्र पथ में चले जाते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।” संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए फाइबर युक्त आहार, प्रोबायोटिक्स और हाइड्रेशन के साथ अपने पेट को स्वस्थ एवं साफ रखना जरूरी है (can uti cause gut problems)।

जानिए आंतों की सेहत पर यूटीआई का प्रभाव (How UTI can impact gut health)

जैसा कि हमने पहले ही चर्चा की है, मूत्र पथ के संक्रमण आपके पेट के स्वास्थ्य को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकते हैं। यहां कुछ ऐसे कारक हैं, जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है:

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1. यूटीआई एंटीबायोटिक्स माइक्रोबायोम को प्रभावित कर सकते हैं

जब हमें UTI होता है, तो डॉक्टर हमें एंटीबायोटिक्स लिखते हैं। ये संक्रमण के उपचार में आपकी मदद कर सकते हैं, लेकिन ये हमारे पेट के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। मेडिसिन इन माइक्रोइकोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है, कि एंटीबायोटिक्स का उपयोग समस्याग्रस्त हो सकता है। ये मानव आंत के नाजुक संतुलन को बिगाड़ सकता है। यह आंत में अच्छे बैक्टीरिया के संतुलन को बिगाड़ सकता है। इसलिए, आपको ब्लोटिंग, दस्त या कब्ज जैसी पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

Pera se gut health ko milta hai fayda
विटामिन और मिनरल्स के अलावा नाशपाती में प्रीबोयाटिक्स पाए जाते हैं, जिससे माइक्रोबायोम संतुलित बनाए रखने में मदद मिलती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

2. अधिक फ्रिक्वेंटली हो सकती है यूटीआई की समस्या

एक स्वस्थ आंत माइक्रोबायोम संक्रमण को रोकने में मदद करता है। आंत ई. कोली जैसे संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया का भंडार है। जब आंत माइक्रोबायोम असंतुलित हो जाते हैं, तो इस हानिकारक बैक्टीरिया का ग्रोथ बढ़ सकता है, और अन्य संक्रमण पैदा कर सकता है। इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो सकती है।

3. बढ़ जाती है सूजन की समस्या

जब हमें किसी तरह का संक्रमण होता है, तो यह हमारे शरीर में सूजन को ट्रिगर करता है। इससे अक्सर अन्य आंत संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि लीकी गट। प्लॉस वन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार लीकी गट की स्थिति में वेस्ट मटेरियल और बैक्टीरिया रक्तप्रवाह में प्रवेश होना शुरू हो जाते है। इससे सूजन और भी बढ़ जाती है। यह पुरानी सूजन बार-बार मूत्र संक्रमण का कारण बन सकती है।

यूटीआई और आंत के स्वास्थ्य के बीच क्या संबंध है?

हालांकि मूत्र पथ के संक्रमण का आंत के स्वास्थ्य पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन बार-बार संक्रमण होने से लोगों को अक्सर एंटीबायोटिक दवाओं के कोर्स पर रखा जाता है। डॉ. अरोड़ा बताते हैं, “ये दवाएं आंत में बैक्टीरिया के असंतुलन का कारण बन सकती हैं। जैसे-जैसे स्वस्थ बैक्टीरिया की संख्या कम होती जाती है, वहीं शरीर की प्रतिरक्षा और संक्रमण को रोकने की क्षमता भी कम होती जाती है।”

इसी तरह, खराब डाइट या तनाव जैसे कई अन्य कारणों से आंतों की सेहत प्रभावित होती है, जिससे खराब बैक्टीरिया का ग्रोथ बढ़ सकता है। ये मूत्र पथ में जा सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इन संक्रमणों को रोकने के लिए एक मजबूत इम्यूनिटी की जरूरत है, जिसमें आंतों की सेहत बेहद महत्वपूर्ण होती है। अपने डॉक्टर से प्रीबायोटिक्स और पोषक तत्वों से भरपूर आहार के बारे में सलाह लें, जिससे आपका पाचन तंत्र बेहतर हो सकता है।

Samajhiye unsafe sex aur UTI ka khatra.
अनसेफ सेक्स से बढ़ जाता है UTI का खतरा। चित्र : एडॉबीस्टॉक

क्या कोई ऐसी कमी है जो यूटीआई का कारण बन सकती है?

हां, कई विशिष्ट कमियां मूत्र पथ के संक्रमण के अप्रत्यक्ष कारण बन सकती हैं। विटामिन डी, शरीर को रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स का उत्पादन करने में मदद करता है, जो यूटीआई को रोकते हैं। जिन लोगों में आयरन और जिंक का स्तर कम होता है, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे संक्रमण फैलना अधिक आसान हो जाता है। विटामिन बी यूरिनरी ट्रैक्ट और मूत्रमार्ग की परत सहित म्यूकोसल अवरोधों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं।

जब ये पोषक तत्व कम हो जाते हैं, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बदल जाती है, और ये संक्रमण के लिए कमज़ोर हो जाते हैं। इसलिए, आपको अपनी समग्र प्रतिरक्षा का समर्थन करने के लिए विटामिन और खनिजों से भरपूर एक संतुलित आहार बनाए रखना चाहिए। प्रोबायोटिक्स से भरपूर खाद्य पदार्थ खाना भी मददगार हो सकता है।

यूटीआई कई तरह से आंत संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकता है। यह भी सच है कि आंत के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। इस साइकिल को प्रोबायोटिक के साथ आंतों के स्वास्थ्य को संतुलित रखा जा सकता है। इसके साथ ही फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन सुनिश्चित करें, साथ ही साथ प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ और शुगर के सेवन से जितना हो सके उतना परहेज रखें और अपनी बॉडी को पूरी तरह हाइड्रेटेड रखें।

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