अजीत डोभाल को समन मिला ही नहीं…पकड़ा गया आतंकी पन्नू का झूठ, भारत की बात सच

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Ajit Doval News: अजीत डोभाल को लेकर खालिस्तानी आतंकी पन्नू की झूठ पकड़ी गई है. अमेरिकी अदालत ने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के दावे को खारिज कर दिया कि उसने एनएसए अजीत डोभाल को समन भेजा था. आतंकी पन्नू…और पढ़ें

अमेरिकी कोर्ट ने कहा, NSA अजित डोभाल को समन नहीं मिला
हाइलाइट्स
- अमेरिकी अदालत ने पन्नू के दावे को खारिज किया.
- पन्नू का समन स्टारबक्स स्टोर पर छोड़ दिया गया था.
- अजीत डोभाल को समन नहीं मिला.
नई दिल्ली: खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की झूठ पकड़ी गई है. उसने अमेरिकी अदालत को बरगलाने की पूरी कोशिश की. उसने अजीत डोभाल के समन को लेकर झूठ बोला. मगर उसकी दाल नहीं गल पाई और झूठ पकड़ी गई. जी हां, अमेरिकी अदालत ने कहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी के साथ 12-13 फरवरी को अमेरिका दौरे पर आए एनएसए (NSA) अजीत डोभाल को समन की तामील नहीं हो पाई थी. अदालत ने खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उसने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को समन यानी नोटिस भेजने का दावा किया था.
दरअसल, खालिस्तानी आतंकी पन्नू के वकील ने कोर्ट को एक चिट्ठी लिखी थी जिसके बाद अदालत ने ये प्रतिक्रिया दी है. इस चिट्ठी में खुलासा हुआ है कि जब आतंकी पन्नू के सर्वर (समन लेकर जाने वाला) ने ब्लेयर हाउस (जहां भारतीय प्रतिनिधिमंडल रुका था) के बाहर नोटिस देने की कोशिश की तो राष्ट्रपति के गेस्ट हाउस की सुरक्षा में तैनात अमेरिकी सीक्रेट सर्विस एजेंटों ने उसे गिरफ्तार करने की धमकी दी. इसके बाद आतंकी पन्नू के सर्वर ने उस समन को पास के एक स्टारबक्स स्टोर पर ही छोड़ दिया, जो कोर्ट के लिए पर्याप्त साबित नहीं हुआ.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, उस खत की समीक्षा करने के बाद न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के एक जज ने कहा, ‘शिकायत अथवा समन होटल प्रबंधन या कर्मचारियों के किसी सदस्य या प्रतिवादी (अजीत डोभाल) के लिए सुरक्षा प्रदान करने वाले किसी अधिकारी या एजेंट को नहीं दी गई थी, जैसा कि अदालत के आदेश में आवश्यक था.’ यह घटनाक्रम भारत के उस रुख की पुष्टि करता है कि एनएसए अजीत डोभाल को समन नहीं दिया गया था. विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने अमेरिका में अपने प्रवास के दौरान इसे अनुचित और निराधार आरोपों पर आधारित बताया था.
पिछले साल का है मामला
यह समन पिछले साल सितंबर में अमेरिकी अदालत ने आतंकी पन्नू की ओर से दायर एक दीवानी मुकदमे के जवाब में जारी किया था. खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने अपने खिलाफ एक कथित हत्या की साजिश को लेकर मुकदमा दायर किया था. इसके लिए अमेरिकी अधिकारियों ने विकास यादव नाम के एक भारतीय सरकारी एजेंट को जिम्मेदार ठहराया था. भारत सरकार ने मामले की जांच की है और यादव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है. भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता साजिश में कथित संलिप्तता के आरोप में अमेरिकी हिरासत में है और उसका मामला 3 नवंबर, 2025 को सुनवाई के लिए जाएगा.
पन्नू ने 3 लोगों को हायर किया था
सूत्रों का कहना है कि आतंकी पन्नू ने अजीत डोभाल की दो दिवसीय अमेरिकी यात्रा के दौरान वाशिंगटन डीसी में समन देने के लिए 2 सर्वर और एक जांचकर्ता को काम पर रखा था. चिट्ठी से यह खुलासा हुआ कि एंबिको वालेस नाम का पहला सर्वर 12 फरवरी को शाम 7.22 बजे ब्लेयर हाउस पहुंचा और पाया कि यह एक ही चेकपॉइंट से घिरा हुआ है, जिस पर सीक्रेट सर्विस एजेंटों का पहरा है. सर्वर वालेस ने एक एजेंट को कानूनी दस्तावेज दिखाया, लेकिन उसने कुछ नहीं सुना और सर्वर को तुरंत चेकपॉइंट छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया.
कैसे पन्नू की कोशिश हुई नाकाम
अगले दिन दोपहर 12:15 बजे वेन एंग्राम नाम का एक और व्यक्ति एजेंटों के पास पहुंचा. बताया जा रहा है कि वेन पिछले 15 साल से प्रोसेस सर्वर का काम कर रहा है और इस काम में उसे महारत हासिल है. हालांकि, सीक्रेट सर्विस के एजेंटों ने उसके मंसूबे पर पानी फेर दिया. अमेरिकी सीक्रेट सर्विस ने फिर से कोई भी दस्तावेज लेने से इनकार कर दिया तो वेन ने एजेंटों के सामने लिफाफा जमीन पर रखने की कोशिश की. हालांकि सीक्रेट सर्विस के एजेंट ने उस सर्वर को बताया कि अगर उसने समन जमीन पर छोड़ा तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. पन्नू के इस सर्वर एंग्राम ने समन वाले दस्तावेज को पास के किसी सार्वजनिक स्थान पर छोड़ने का फैसला किया. ताकी उसे गिरफ्तार न किया जाए. जहां होटल था, उससे 100 फीट की दूरी पर ही स्टारबक्स का कैफे था. एंग्राम ने स्टारबक्स के बाहर पब्लिक प्लेस में ही एक सीलबंद लिफाफे में समन वाले डॉक्यूमेंट छोड़ दिए.
सीक्रेट सर्विस ने नहीं दिया भाव
इसके बाद वह फिर सीक्रेट सर्विस एजेंट के पास गया और उसने बताया कि उसने समन कहां छोड़ा है. इसके बाद उसने सीक्रेट सर्विस के एजेंटों से गुहार लगाई कि उस समन को जल्दी अजीत डोभाल तक पहुंचा दें. बस यही तरीका अदालत को नाकाफी लगा. दावा किया गया है कि खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने जिस जांचकर्ता को काम पर रखा था, उसने भी ब्लेयर हाउस के स्टाफ और सीक्रेट सर्विस से फोन पर बात की, लेकिन उसे बताया गया कि प्रतिवादी यानी अजीत डोभाल को वहां समन नहीं थमाया जा सकता. उन्होंने कोई भी ऐसा ईमेल शेयर करने से भी इनकार कर दिया जिसका इस्तेमाल समन भेजने के लिए किया जा सके.
