Panchang: आ गया नया ‘बल्लभ पंचांग’ पंचांग, धार्मिक के साथ विज्ञान के लिए भी मददगार

Shri Ballabh Panchang: उत्तराखंड की पारंपरिक सूर्य गणना पद्धति पर आधारित ‘श्री बुद्धि बल्लभ पंचांग’ का भव्य विमोचन किया गया. पंचतत्व वैदिक धाम के तत्वावधान में आयोजित इस समारोह में ज्योतिष जगत के प्रतिष्ठित विद्वानों ने भाग लिया. प्रमुख आचार्यों और विद्वानों की उपस्थिति में पंचांग का विमोचन किया गया.
इस पंचांग को आचार्य पवन पाठक ने गहन शोध और परिश्रम से तैयार किया है. उन्होंने बताया कि यह पंचांग उत्तराखंड में लगभग विलुप्त हो चुकी सूर्य गणना पद्धति पर आधारित है, जिसे फिर से जीवित करने का प्रयास किया गया है. विमोचन समारोह में उपस्थित प्रमुख विद्वानों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह पंचांग सनातन परंपरा के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं को पुनर्स्थापित करने में सहायक होगा.
हल्द्वानी में आयोजित इस भव्य आयोजन में डा. शैलेन्द्र, डॉ. भुवन चंद्र उन्याल, डॉ. विनय पांडेय, विजय कुमार मामगाई, डॉ. हेम पांडेय, भूपेन्द्र नाथ सहित कई प्रमुख ज्योतिषाचार्य और विद्वान उपस्थित रहे. इस अवसर पर आचार्यों ने भारतीय ज्योतिष के मूल स्वरूप, उत्तराखंड में प्रचलित पंचांगों की प्राचीन गणना पद्धति और सनातन ज्ञान के महत्व पर विस्तार से चर्चा की.
सूर्य गणना पर आधारित पंचांग (Shri Ballabh Panchang Based on Sun)
उत्तराखंड में लंबे समय से सूर्य गणितीय पंचांग प्रचलित था, लेकिन धीरे-धीरे चंद्र गणना पर आधारित पंचांग अधिक लोकप्रिय हो गया. इससे पारंपरिक गणना पद्धति लगभग विलुप्त हो गई थी. श्री बुद्धि बल्लभ पंचांग इसी प्राचीन सूर्य गणना पद्धति पर आधारित है, जो सूर्य की स्थिति, नक्षत्रों की चाल और सौर महीनों के अनुसार तिथियों की गणना करता है.
धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों में सहायक
यह पंचांग न केवल धार्मिक कार्यों के लिए उपयोगी होगा, बल्कि भारतीय ज्योतिष के प्राचीन और वैज्ञानिक पक्ष को भी पुनर्स्थापित करने में मदद करेगा. इसका डिजिटल संस्करण इसे नई पीढ़ी के लिए अधिक सुलभ बनाएगा और सनातन ज्ञान को संरक्षित रखने में सहायक सिद्ध होगा.
समारोह में श्री बुद्धि बल्लभ पंचांग को परंपरागत मुद्रित स्वरूप और डिजिटल रूप में जारी किया गया. आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए इसे मोबाइल ऐप, वेबसाइट और पीडीएफ संस्करणों के माध्यम से भी उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे लोग इसे कभी भी और कहीं भी देख सकें.
उत्तराखंड की पद्धति को पुनर्जीवित करेगा
आचार्य पवन पाठक ने बताया कि वर्तमान में कई पंचांगों में मतभेद देखने को मिलते हैं, जिससे आम जनता को असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ता है. इस नई गणना पद्धति के आधार पर तैयार किया गया पंचांग न केवल धार्मिक तिथियों की सटीकता को प्रमाणित करेगा बल्कि उत्तराखंड की पारंपरिक गणना पद्धति को भी पुनर्जीवित करेगा.
आचार्य पवन पाठक ने कहा, “हमारा उद्देश्य न केवल पारंपरिक पंचांग को पुनर्स्थापित करना है, बल्कि युवा पीढ़ी को भी भारतीय ज्योतिष और सूर्य गणना पद्धति के महत्व से अवगत कराना है. उनका मानना है कि सूर्य गणना अधिक वैज्ञानिक और सटीक है और इससे धार्मिक पर्वों और शुभ तिथियों में होने वाली भ्रम की स्थिति को समाप्त किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें- ममता कुलकर्णी ने पंडित धीरेंद्र शास्त्री का खोल दिया राज, बता दी उनके पास कौन सी सिद्धि है!
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
