MP के इस शख्स ने दिया गौरैयों को आशियाना! छत पर ही बना डाला अनोखा बर्ड टॉवर!

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World Sparrow Day: कभी घर-आंगन में चहकने वाली गौरैया अब कम होती जा रही है. खरगोन के नवीन कुमार ने इसके संरक्षण के लिए बर्ड टॉवर बनाया, जहां 100 गौरैया सुरक्षित घोंसला बना सकती हैं. उन्होंने बताया कि पेड़ों की क…और पढ़ें

फाइल
हाइलाइट्स
- नवीन कुमार ने घर की छत पर बर्ड टॉवर बनाया.
- बर्ड टॉवर में 100 गौरैयाओं के लिए घोंसले.
- कम खर्च में गौरैया संरक्षण का प्रयास.
खरगोन. कभी घर-आंगन में ची-ची करने वाली गौरैया अब नजर नहीं आती. जिन घरों में यह चहकती थी, वहां अब सन्नाटा छा गया है. यह समस्या सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि अब गांवों में भी गौरैया कम होती जा रही है. 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है, ताकि इस नन्ही चिड़िया को बचाने के लिए जागरूकता फैलाई जा सके. लेकिन इन्हें बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते.
नवीन कुमार ने बनाया बर्ड टॉवर
खरगोन के नवीन कुमार ने गौरैया संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल की है. उन्होंने अपने घर की छत पर बर्ड टॉवर बनाया है, जहां 100 गौरैया सुरक्षित घोंसला बना सकती हैं.
लोकल18 से बातचीत में नवीन कुमार ने बताया कि बचपन से ही उन्हें पर्यावरण से गहरा लगाव रहा है. करीब 9 साल पहले उन्होंने पक्षियों और वन्य जीवों के संरक्षण का कार्य शुरू किया. अब उन्होंने मंडलेश्वर स्थित अपने नए घर की छत पर ईंट और सीमेंट से 10 फीट ऊंचा बर्ड टॉवर बनाया है. इस टॉवर में छोटे-छोटे छेद किए गए हैं, जहां गौरैया अपने घोंसले बना सकती हैं. यह टॉवर गौरैया को धूप और बारिश से सुरक्षा भी देगा.
गौरैया के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा
नवीन बताते हैं कि पहले गौरैया इंसानों के आसपास रहती थी और घरों के कोनों में घोंसला बना लेती थी. पहले के कच्चे मकानों की दीवारों और छतों में घोंसला बनाने की जगह होती थी. लेकिन अब पक्के मकानों, पेड़-पौधों की कटाई और मोबाइल टावरों से निकलने वाली तरंगों की वजह से गौरैया के लिए संकट खड़ा हो गया है. इसी कारण उन्होंने बर्ड टॉवर बनाने का फैसला किया, ताकि गौरैया को फिर से सुरक्षित घरौंदा मिल सके.
कम खर्च में बड़ा प्रयास
इस बर्ड टॉवर को बनाने में बहुत कम जगह लगी और सिर्फ 11 हजार रुपए खर्च हुए. इस छोटे से प्रयास से 100 गौरैयाओं के लिए सुरक्षित ठिकाना तैयार हो गया है.
हर कोई कर सकता है यह प्रयास
नवीन का मानना है कि गौरैया दिवस मनाने का असली मकसद तभी पूरा होगा, जब हम भी इस नन्हीं चिड़िया को बचाने के लिए छोटे-छोटे प्रयास करें. अगर हम अपने घर के आंगन, छत या बगीचे में गौरैयाओं के लिए घोंसले और दाना-पानी का इंतजाम करें, तो यह चिड़िया फिर से हमारे आसपास चहचहाने लगेगी.
