Explainer: कृषि में क्रांति लाएंगे रोबोटिक कीड़े, फसलें करेंगी बंपर पैदावार!

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वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने ऐसा रोबोटिक कीड़ा तैयार कर लिया है जो कृषि उत्पादन में क्रांति ला सकता है. उनके बनाए कीड़ों का झुंड खेतों में खड़ी फसल के पौधों में परागण का काम वैसे ही करेगा जैसे कि कुदरती कीड़े करते हैं….और पढ़ें

ये कीड़े ना केवल उड़ने में बहुत ही कारगर हैं, बल्कि परागण की प्रक्रिया भी बहुत अच्छे से करते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
दुनिया में कई कीड़ों की प्रजातियां अस्तित्व के लिहाज से खतरे में हैं. तो क्या इससे इंसानों का कुछ बिगड़ जाएगा? वैज्ञानिकों की माने तो बिलकुल! इसका सीधा असर उन फसलों पर होगा जिनमें कीड़े फलों की पैदाइश में अहम भूमिका निभाते हैं. कीड़ों फसलों में परागण की अहम भूमिका निभाते हैं जिससे फूलों में बीज नहीं बनेंगे और बीज फल में नहीं बदलेंगे और किसानों को खुद ही फसलों में परागरण की व्यवस्था करनी होगी. लेकिन वैज्ञानिकों ने इस संकट का अनूठा हल निकाल लिया है. अब परागण के काम में कुदरती कीड़ों पर निर्भर होने की जरूरत नहीं होगी, ये काम अब रोबोटिक कीड़े करेंगे, जो कृषि और खाद्यउत्पादन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं!
क्या फायदा होगा ऐसे कीड़ों से
मैसाचुसैट्स् इंस्टीट्यूट ऑप टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम परागण के क्षेत्र में यह क्रांतिकारी उपलब्धि हासिल की है. ये छोटे से यांत्रिक कीड़े एक पेपरक्लिप के आकार से भी छोटे हैं. ये पौधों में परागण की प्रक्रिया में तेजी ला सकते हैं. इससे फसल की पैदावार तो तेजी से बढ़ेगी, लेकिन पर्यावरण को होने वाले नुकसानों को भी काफी हद तक कम से कम किया जा सकेगा.
किसने किया यह आविष्कार
शोधकर्ताओं ने ये रोबोटिक कीड़ों को मधुमक्खियों से प्रेरित होकर बनाया है जो अपने यांत्रिक छत्ते से झुंड में निकल कर सटीक परागीकरण उसी कारगरता और दक्षता से करेंगे जैसा कि कुदरती कीड़े करते हैं. इंस्टीट्यूट के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कम्प्यूटर साइंस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और सॉफ्ट एंड माइक्रो रोबोटिक्स लैबोरेटरी के प्रमुख केविन चेन ने इस प्रोजेक्ट की अगुआई की, जिससे यह नई डिजाइन का आविष्कार हुआ.

शोधकर्ताओं ने लगातार अपने ही बनाए रोबोट कीड़ों में सुधार किया. (तस्वीर साभार: MIT researchers)
पहले के रोबोटिक कीड़ों से बहुत बेहतर
शोधकर्ताओं ने पाया कि इससे पहले जो रोबोटिक कीड़े बनाए गए थे उनमें सहनशीलता, गति और कुदरती परागणकर्ताओं जैसी काबिलियत नहीं थी. इसलिए उन्होंने कीड़ों को फिर से डिजाइन किया जिसमें उन्होंने मधुमक्खियों के शरीर और यांत्रिक उड़ान की ज्यादा कुशलता और सटीकता से नकल की. यह अध्ययन साइंस रोबोटिक्स में प्रकाशित हुआ है.
आसान नहीं था इन्हें बनाना
ये कीड़े केवल 2 सेंटीमीटर ही लंबे हैं और इनमें लगे उपकरण 200 माइक्रॉन से अधिक चौड़े नहीं हैं. इन्हें सटीक तौर से बनाने के लिए शोधकर्ताओ को खास लेजर कटिंग प्रक्रिया का उपयोग किया. सही संतुलन बनने में जरा भी गड़बहड़ी होने पर शोधकर्ताओं को पंखों के जोड़ में खास बदलाव करने होते थे.

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उनका आविष्कार कृषि पैदावार में क्रांतिकारी इजाफा करेगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
ज्यादा उड़ान और ज्यादा सटीक काम
शोधकर्ताओं का कहना है कि जितनी उड़ान उनके रोबोट ने हासिल की है वह इस क्षेत्र में बने सभै रोबोट की कुल उड़ान से भी अधिक है. और अब वे उड़ान की अवधि को 10 हजार सेकेंड से भी अधिक तक बढ़ाने पर काम कर रहे हैं जिसमें इसके साथ रोबोट की उड़ान भरने और सटीक जगह उतरने में भी बेहतर हो सकेंगे. इसके अलवा वे रोबोट को सेंसर्स, बैटरी और गणना करने की क्षमता को स्वचलित करने के क्षमताओं से भी लैस करने के तैयारी में हैं, जिससे वे प्रयोगशाला के बाहर काम कर सकें.
खेतों में काम करने के लिए तैयार
शोधकर्ताओं के हर प्रयास के बाद ये रोबोटिक कीड़े बाहरी दुनिया में भेजे जाने के और लायक बनते गए और अब वे आधुनिक खेती के नियंत्रित वातावरण में फल और सब्जी के उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं. इनके उपयोग से फसलों की पैदावार में तेजी से इजाफा देखने को मिलेगा जिससे कीटनाशक मुक्त सिस्टम बनाने में मदद मिल सकेंगी.
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इरादा रोबोट परागणों की एक सेना बनाने का है जो की पूरे खेतों में फैल जाएगी. यह बायो मिमक्री विज्ञान की ऐसी मिसाल बनेगी जिससे खाद्य क्षेत्र में सब कुछ बदल जाएगा और एक दिन ये रोबोट दुनिया भर की खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सबसे बड़ी समस्याओं को सुलझा सकते हैं.
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
January 18, 2025, 17:34 IST
