होलिका दहन में भूलकर न जलाएं इन पेड़ों की लकड़ी, कुपित हो जाएंगी मां लक्ष्मी

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Holika Dahan 2025: ज्योतिषाचार्य ने बताया कि होलिका दहन में पीपल, बरगद, आम, तुलसी सहित कई पेड़ों की लकड़ियां नहीं जलानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ये पेड़ न केवल धार्मिक रूप से पूजनीय हैं, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ…और पढ़ें

होलिका दहन के दौरान रखें इस बात का ध्यान
हाइलाइट्स
- पीपल, बरगद, आम, तुलसी की लकड़ी न जलाएं
- धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण
- नीम, बेर, शमी, बबूल की लकड़ी का उपयोग करें
जमुई. होली का त्योहार रंगों और खुशियों का प्रतीक है, लेकिन इससे एक दिन पहले होने वाला होलिका दहन भी धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस अनुष्ठान में लकड़ियों, उपले और अन्य सामग्री से होलिका जलाई जाती है, लेकिन कई लोग इस दौरान अज्ञानता में कुछ ऐसे पेड़ों की लकड़ियां भी जला देते हैं, जिनका उपयोग वर्जित माना गया है. ज्योतिषाचार्य पंडित मनोहर आचार्य बताते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के आधार पर होलिका दहन में कुछ पेड़ों की लकड़ियों को जलाना वर्जित है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे परिवार और समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि होलिका दहन में पीपल, बरगद, आम, तुलसी सहित कई पेड़ों की लकड़ियां नहीं जलानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ये पेड़ न केवल धार्मिक रूप से पूजनीय हैं, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू धर्म में पीपल और बरगद के वृक्ष को अत्यंत पवित्र माना गया है. पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना जाता है, वहीं बरगद को अक्षय जीवन और लंबी उम्र का प्रतीक समझा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इन वृक्षों की लकड़ियां जलाने से देवता रुष्ट हो सकते हैं, जिससे परिवार में अशुभ घटनाएं घट सकती हैं. उन्होंने कहा कि तुलसी का पौधा भी माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए इसकी लकड़ी जलाने से आर्थिक संकट आने की आशंका बनी रहती है.
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होलिका दहन में किन लकड़ियों का करें प्रयोग
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि होलिका दहन में उन्हीं लकड़ियों का उपयोग करना चाहिए, जो पारंपरिक रूप से मान्य है. होलिका दहन में सूखी लकड़ियां, उपले और विशेष रूप से नीम, बेर, शमी, और बबूल जैसे पेड़ की लकड़ियों का उपयोग किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ये पेड़ न केवल धार्मिक रूप से स्वीकार्य हैं, बल्कि इनमें कई औषधीय गुण भी होते हैं. शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि होलिका दहन में हरे-भरे पेड़ों की लकड़ी नहीं जलानी चाहिए, क्योंकि इससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है. इसके बजाय उन लकड़ियों का उपयोग करें जो प्राकृतिक रूप से सूख चुकी हो.
Jamui,Jamui,Bihar
March 12, 2025, 06:31 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
