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सूअरों के लिए काल है यह पांच बीमारी हर साल होता है लाखों का नुकसान एक्सपर्ट से जाने रोकथाम और बचाव के टिप्स <br><br>

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Protect pigs from 5 diseases: बोकारो के चास पेट क्लिनिक के पशु चिकित्सक ने सूअर पालन में होने वाली प्रमुख बीमारियों के रोकथाम के उपाय बताए हैं. ये बीमारियां आपका हर साल लाखों का नुकसान कर सकती हैं.

बोकारो. अगर आप सूअर पालन करते हैं, तो देखभाल की कमी या सूक्ष्म जीव और परजीवियों के संपर्क में आने के कारण सूअरों के बीमार होने का खतरा रहता है, जिसे आपका बड़ा नुकसान हो सकता है. ऐसे में बोकारो के चास पेट क्लिनिक के पशु चिकित्सक डॉ. अनिल ने सूअरों में होने वाले प्रमुख रोगों की रोकथाम और बचाव से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है, जिसका पालन कर पशुपालक सूअरों कि सुरक्षित तरीके से देखभाल कर अच्छी आमदनी कमा सकते हैं.

स्वाइन फीवर
यह बीमारी सूअर में होने वाली एक गंभीर बीमारी है, जो विषाणु के प्रवेश के कारण फैलता है. अधिकतर यह बीमारी सूअर के मल-मूत्र, गंदा खाना-पानी के संक्रमण के कारण होता है, जिस कारण शुअर के शरीर में  तेज बुखार और शरीर का तापमान  (105-107° F) तक पहुंच जाता है और इसके लक्षण खास तौर पर कानों के बाहर तथा भीतरी तरफ एवं पेट पर लाल रंग का धब्बा आना, सांस लेने में कठिनाई, सुस्ती, देखने को मिलती है. इसके इलाज के लिए समय पर स्वाइन फीवर टीका लगवाना चाहिए.

सूकर चेचक
सूकर चेचक सूअरों में होने वाला विषाणु जनित रोग है, जिसमें दुषित पदार्थ के संक्रमण के चपेट में आने के कारण त्वचा पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं, जिससे सूअर के स्वास्थ्य काफी प्रभावित होता हैं और वह कमजोर हो जाते हैं. इसके लिए पशुपालक चिकित्सा कि सलाह और एक्सपर्ट की मदद के जरिए प्रभावित त्वचा को पोटाश के घोल से साफ कर बोरोग्लिसरीन के प्रयोग करने से  पशु को राहत प्रदान होता है और इसका संक्रमण कम फैलता है. इसलिए सूकर चेचक होने पर बिमार सूअर को झूड़ से अलग कर देखभाल करनी चाहिए.

डायमंड त्वचा रोग
डायमंड त्वचा रोग एक संक्रामक रोग है, जो सूअरों में दूषित मिट्टी, खाद्य पदार्थ और संक्रमित मल-मूत्र से फैलता है और इस बिमारी से सूअर में तेज बुखार, त्वचा पर लाल-पीला रंग का धब्बा दिखाई पड़ना. वहीं सूअरों में सुस्ती खाने-पीने में कमी केपमुख लक्षण दिखाई देते हैं और इसके रोकथाम के लिए पशुचिकित्सक के अनुसार दवा दिलाने से इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है और इस बिमारी के बचाव के लिए सूअर के रहने वाले स्थान पर ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव से दूसरे जानवर तक यह नहीं बीमारी नहीं फलती है.

निमोनिया
निमोनिया कि बीमारी ठंडी के दौरान सूअरों को सबसे अधिक प्रभावित करती है, जिसमें संक्रमित जीवाणु नाक के जरिए से सूअरों के फेफड़े में पहुँच जाता है, जिससे बुखार आना, आँख और नाक से पानी आना, तेज सांसे चलना, सुस्ती के लक्षण देखने को मिलता है. ऐसे में इसके बचाव के लिए पशु चिकित्सक से सपर्क कर जरूरी है. परामर्श और इलाज करने से निमोनिया से राहत मिलती है और ठंडी के मौसम में खास तौर पर सूअर के बाड़े में हाई वोल्टेज लाइट रूम हिटर कि व्यवस्था करनी से निमोनिया से बचा सकते हैं.

पिगलेट एनीमिया 
यह बीमारी सूअर के नवजात बच्चों में आयरन की कमी के कारण होती है, जिससे सूअर के बच्चों में खून बनना काम हो जाता है और इसे सूअर के बच्चे सुस्त हो जाते हैं. उनकी सांस भारी हो जाती है और कई बार उनकी मौत भी हो जाती है. ऐसे में सूअर के बच्चों को पोशाक भोजन और आयरन टॉनिक देने से पिगलेट एनीमिया से बचाया जा सकता है.

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