सिर्फ गुजिया ही नहीं…इस मिठाई के बिना भी अधूरी है होली, आखिर क्या है वजह?

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Batasa on Holi: होली पर हर को कोई गुजिया बनाता है या खाता है. लेकिन गुजिया के साथ एक और ऐसी मिठाई है जिसके बिना होली का त्यौहार अधूरी माना जाता है.

खरपुड़ी बिक्री करते दुकानदार
हाइलाइट्स
- होली पर बताशों का विशेष महत्व होता है.
- बताशों की कीमत 60 से 100 रुपये किलो तक है.
- बताशे बनाने के लिए शक्कर की चाशनी का उपयोग होता है.
Batasa on Holi: पूरे देश में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. बाजार रंग-बिरंगे गुलाल और पिचकारियों से सजे हैं. फर्रुखाबाद में भी बाजार की रौनक देखते ही बन रही है. हर दुकान पर लोगों की भीड़ उमड़ी है. इस बार बाजार में खरपुड़ी की दुकानों पर भी रौनक है. होली पर पूजा में बताशों का विशेष महत्व होता है, इसलिए लोग दुकानों पर जमकर इसकी खरीदारी कर रहे हैं. लोग अपने सगे-संबंधियों को भी खरपुड़ी भेजते हैं, इसलिए इसकी मांग बढ़ जाती है.
परंपरा निभाते हैं लोग
दुकानदारों ने बताया कि होली का त्यौहार हर साल आता है और इसकी तैयारी महीनों पहले से शुरू हो जाती है. शक्कर से बनी ये खास मिठाई होली के त्यौहार को और भी खास बना देती है. इस मिठाई के बिना होली का त्यौहार अधूरा सा लगता है. इसी परंपरा को निभाने के लिए लोग होली पर बताशों जरूर खरीदते हैं. बाजार में बताशों की कीमत 60 रुपये से लेकर 100 रुपये किलो तक चल रही है.
प्राचीन समय से ही भारत में एक परंपरा रही है कि जब किसी परिवार में किसी व्यक्ति का निधन हो जाता है, तो उसके बाद पहली होली पर उनके रिश्तेदार और करीबी लोग बताशे लेकर जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि इससे उस परिवार में दुःख का माहौल कम होता है. यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है
कैसे तैयार होते हैं बताशे
कारीगरों ने बताया कि बताशों बनाने के लिए भट्टी की जरूरत होती है, जिस पर कढ़ाई में शक्कर की चाशनी तैयार की जाती है. इसे तब तक गर्म किया जाता है जब तक कि यह जमने न लगे. खरपुड़ी को गोल बनाने के लिए लकड़ी के बने फर्मे में चाशनी भरी जाती है. कुछ देर बाद ठंडा होने पर इन फर्मे को खोलकर खरपुड़ी निकाल ली जाती है.
March 13, 2025, 13:11 IST
