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वो उद्योगपति जिन्होंने रचाईं 6 शादियां, जिन्ना की बहन के साथ रहे इश्क के चर्चे

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Ram Krishna Dalmia: राम कृष्ण डालमिया ने बिना उच्च शिक्षा के डालमिया ग्रुप की स्थापना की. उन्होंने छह शादियां कीं और जिन्ना की बहन फातिमा से भी उनके रिश्ते थे.1978 में उनका निधन हुआ.

वो उद्योगपति जिन्होंने रचाईं 6 शादियां, जिन्ना की बहन के साथ रहे इश्क के चर्चे

डालमिया के पास अकूत संपत्ति थी और ताकत भी थी. महात्मा गांधी से लेकर मोहम्मद अली जिन्ना तक से उनके अच्छे संबंध थे.

हाइलाइट्स

  • राम कृष्ण डालमिया ने बिना उच्च शिक्षा के डालमिया ग्रुप की स्थापना की
  • उन्होंने छह शादियां कीं और जिन्ना की बहन फातिमा से भी उनके रिश्ते थे
  • आजादी के बाद उनके ग्रुप की स्थिति खराब हो गई, 1978 में उनका निधन हुआ

Ram Krishna Dalmia: जीवन में सफलता के कदम चूमने के लिए उच्च शिक्षा हासिल करना या बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों से भारी-भरकम डिग्री लेना जरूरी नहीं है. इस बात को यूं नहीं कह रहे बल्कि इसको साबित किया है भारत के एक शीर्ष उद्योगपति ने. राम कृष्ण डालमिया ने 18 साल की उम्र में जब कारोबार की दुनिया में कदम रखा, तो पिता विरासत में उनके लिए कुछ भी छोड़कर नहीं गए थे. इसके बाद अगले कुछ सालों में उन्होंने बड़ा उद्योग खड़ा कर लिया. जबकि उनकी शैक्षणिक योग्यता के बारे में बात करें तो प्राइमरी के बाद उनके स्कूल या कॉलेज जाने के कोई सबूत नहीं मिलते. लेकिन इन्होंने डालमिया ग्रुप की स्‍थापना की.

गांधी और जिन्ना दोनों के थे प्रिय
राम कृष्ण डालमिया राजस्‍थान के चिरावा नाम के गांव में पैदा हुए थे. यहीं से उन्होंने ऊंचाई का रास्ता तय किया. इन्होंने चीनी फैक्ट्री, सीमेंट, कागज, बैंक, इंश्योरेंस कंपनी, बिस्कुट, एविएशन कंपनी और पब्लिकेशन के क्षेत्र में काम किया. जबकि उनकी अपनी पढ़ाई-ल‌िखाई बहुत ही कम हुई थी. कहा जाता था कि वो जिस कारोबार में हाथ डालते थे, वहां सफलता उनके कदम चूमती थी. डालमिया के पास अकूत संपत्ति थी और ताकत भी थी. महात्मा गांधी से लेकर मोहम्मद अली जिन्ना तक से उनके अच्छे संबंध थे. वह रसिक और महिलाओं को पसंद करने वाले शख्स भी थे.

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पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना से डालमिया की गहरी दोस्ती थी. दोनों के बीच तमाम तरह की बातें होती थीं. जब जिन्ना पाकिस्तान गए तो दिल्ली का अपना बंगला डालमिया को बेचकर गए.

रसिक मिजाज थे डालमिया
रामकृष्ण डालमिया, जमशेदजी टाटा और घनश्याम दास बिड़ला के बाद देश के तीसरे बड़े उद्योगपति और अमीर शख्स थे. सबसे बड़े अखबार समूह के मालिक डालमिया ने अपने जीवन में एक-दो नहीं, बल्कि छह शादियां की. उनके कई अफेयर्स भी रहे. उनके इश्क के चर्चे पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा के साथ भी थे. जिस समय डालमिया ने एक के बाद एक छह शादियां रचाईं, उस समय ऐसा करने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. लेकिन, डालमिया ने कभी इन सबकी परवाह नहीं की. उन्होंने अपनी पहली दो शादियों के बाद अपनी बाकी चार बीवियों से शादी से पहले बाकायदा उनके साथ रोमांस भी किया. हालांकि, उनका दिल कई महिलाओं पर आया.

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रोमांस के कई किस्से
शादी से परे भी उनके रोमांस के भी तमाम किस्से हैं. उनकी बेटी नीलिमा डालमिया अधर ने अपनी किताब ‘फादर डियरेस्टः द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ आर के डालमिया’ में उनकी शादियों और कई रोमांस के बारे में लिखा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक वह बातचीत में कहती हैं, “उनके पिता खुद को किसी राजा से कम नहीं समझते थे, लिहाजा उसी तरह की जिंदगी जीने में उनका यकीन भी था. चाहे वो ताकत के मामले में रहा हो या फिर महिलाओं के बारे में.”

डालमिया इंडस्ट्री ने 20 से 40 के दशक के बीच देश में बहुत तेजी से विस्तार किया. देश के हर कोने में उनकी मौजूदगी थी. वो एविएशन से लेकर मीडिया तक तमाम बिजनेस सेक्टर्स में थे.

कम उम्र में की थी पहली शादी
डालमिया की पहली शादी बहुत कम उम्र में हुई. पहली पत्नी नर्मदा की उम्र महज 12 साल थी. लेकिन, महज दो तीन साल में ही उनकी मौत हो गई. इसके बाद उनकी मां ने उनकी दूसरी शादी दुर्गा से कर दी. लोगों को लगा अब रामकृष्ण दुर्गा के साथ जिंदगी भर खुश रहेंगे. लेकिन, किसे मालूम था कि वह अपने जीवन में शादियों का रिकॉर्ड ही बना देंगे.

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एक के बाद कीं तीन शादियां
दूसरी शादी के कुछ ही सालों बाद उनका दिल सुंदर पंजाबी युवती प्रीतम पर आ गया प्रीतम के साथ उन्होंने गुपचुप शादी भी कर डाली. जब उन्होंने इसके बारे में दूसरी पत्नी दुर्गा और परिवार को बताया तो खूब विरोध हुआ, लेकिन डालमिया कहां टस से मस होने वाले थे. डालमिया ने उन्हें दिल्ली में रहने के लिए अलग बड़ा सा घर दिया. जल्दी ही ये प्यार खत्म हो गया. डालमिया ने इसके बाद जल्दी-जल्दी दो शादियां और कर डालीं. नई बीवियों के नाम थे सरस्वती और आशा. आशा बंगाली थीं. ये दोनों शादियां गुप्त तरीके से हुईं.

युवा लेखिका पर आ गया दिल
डालमिया यहीं नहीं रुके. उन्हें एक और युवती पसंद आ गईं. वह राजस्थान की उभरती हुई कवियित्री थीं. नाम था दिनेश नंदिनी. डालमिया संस्थान से ही मिलने वाले सेक्सरिया पुरस्कार से दिनेश नंदिनी की किताब को पुरस्कृत किया गया. डालमिया ने पुरस्कार समारोह में उन्हें पहली बार देखा और वो उन्हें पसंद आ गईं.

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परिवार के साथ रामकृष्ण डालमिया. साभार- नीलिमा डालमिया अधर

शादी के लिए दो साल तक मनाया
दो साल तक दोनों के बीच पत्रों का व्यवहार होता रहा. डालमिया उन्हें बार-बार शादी के लिए मनाते रहे. आखिरकार वह मान तो गईं, लेकिन एक शर्त पर कि इसके बाद वह शादी नहीं करेंगे. नीलिमा डालमिया कहती हैं कि शादी भी गुप्त तरीके से ही बनारस में डालमिया के गंगा के किनारे स्थित घर पर हुई. लेकिन जब मेरी मां को पता लगा कि ये शादी गुप्त रूप से होगी तो उनका माथा ठनका, लेकिन अब वो कुछ नहीं कर सकती थीं. शादी के तुरंत बाद डालमिया ने उन्हें लंदन में जाकर रहने को कहा, लेकिन मेरी मां ने साफतौर पर मना कर दिया, तब उन्हें दिल्ली में एक बड़ा घर दिया गया.

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दिनेश नंदिनी से शादी का हुआ विरोध
जब छठी शादी हुई तो इसका खास विरोध हुआ. डालमिया के बच्चे काफी बड़े हो रहे थे. उनके भाई और मां ने भी इस पर काफी ऐतराज किया. लेकिन शादी तो हो चुकी थी. नीलिमा बताती हैं, “शादी के बाद मेरी दादी मां से ट्रेन में मिलीं. वह मां से इस तरह पेश आईं मानों मेरी मां ने कोई गलती कर दी थी.” हालांकि उन्होंने इस पर सवाल भी उठाया कि ऐसे मामलों में हमारा समाज हमेशा स्त्री को ही दोषी ठहराता आया है.

अंग्रेज युवती के साथ पकड़े गए
डालमिया ने छठी शादी के बाद वन वर्ल्ड मूवमेंट शुरू किया. जिसके लिए वह अपने प्राइवेट विमान से कई देशों में गए. उन्हें अच्छा रिस्पांस भी मिला. वह छठी पत्नी दिनेश नंदिनी के साथ इसी सिलसिले में अमेरिका गए. वहां उनका दिल एक अंग्रेज युवती पर आ गया. अपनी किताब में नीलिमा लिखती हैं, “अमेरिका में मेरे पिता का दिल एक अंग्रेज युवती पर आ गया. मेरी मां ने उन्हें उस अंग्रेज युवती के साथ रंगे हाथों पकड़ा भी.”

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फातिमा जिन्ना के साथ थे अच्छे रिश्ते
चर्चाएं तो ये भी थीं कि उनके रिश्ते मोहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा भुट्टो के साथ भी थे. नीलिमा याद करती हैं कि उनकी मां दिनेश नंदिनी अक्सर कहा करती थीं, तुम्हारे पिता की नजदीकियां फातिमा के साथ भी थीं, क्योंकि वह अक्सर उनके साथ रहते थे. फातिमा जिन्ना अकेली रहती थीं. हालांकि, नीलिमा को संदेह है कि उनके पिता के रिश्ते जिन्ना की बहन से रहे होंगे. इसमें कोई शक नहीं कि जिन्ना और उनकी बहन के साथ जितने अच्छे रिश्ते डालमिया के थे, उतने शायद ही किसी से रहे हों. जब जिन्ना ने अगस्त 1947 के दूसरे हफ्ते में हमेशा हमेशा के लिए भारत छोड़ा तो नई दिल्ली का अपना लंबा चौड़ा 10, औरंगजेब रोड (अब कलाम रोड) स्थित बंगला डालमिया को बेचकर गए.

बंटवारे के बाद आए खराब दिन
हालांकि, 1947 में देश आजाद होने के बाद उनके दिन बदलने लगे. परिवार में बंटवारा हो गए. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से खराब रिश्तों का नतीजा भी उन्हें भुगतना पड़ा. वो दो साल के लिए जेल भी गए. जब वह लौटे तो उनके लिए स्थितियां बदल चुकी थीं. वह दोबारा फिर अपना वो रुतबा और आर्थिक मजूबती हासिल नहीं कर पाए. 1978 में 85 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया.

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