मंडी में महाशिवरात्रि की धूम! देवताओं संग उमड़ा जनसैलाब, सीएम ने की शुरुआत

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मंडी जिले में अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हो गई है, जिसमें 200 से अधिक देवी-देवता शामिल हुए. यह महोत्सव 27 फरवरी से 5 मार्च तक चलेगा. मुख्यमंत्री सुक्खू ने शुभारंभ किया, जबकि अंतिम शोभायात्रा 5…और पढ़ें

राजा माधव राय की तस्वीर
हाइलाइट्स
- मंडी जिले में अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हो गई है.
- इसमें 200 से अधिक देवी- देवता शामिल हुए हैं.
- यह महोत्सव 27 फरवरी से 5 मार्च तक चलेगा.
मंडी: मंडी जिले में अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव की धूम शुरू हो गई है. यहां अलग-अलग जगहों से देवी-देवता छोटी काशी मंडी पहुंच चुके हैं. पारंपरिक रीति-रिवाजों को निभाते हुए, राजा माधव राय की शाही जलेब (शोभायात्रा) उनके राजमहल से पड्डल मैदान तक जाएगी. इस मौके पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी मौजूद रहे.
रियासतकाल में यह भव्य महोत्सव राज परिवार की देखरेख में आयोजित होता था. लेकिन आजादी के बाद जब राजशाही खत्म हुई, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन को सौंप दी गई. जिले के कुल 216 पंजीकृत देवी-देवताओं को शिवरात्रि के लिए आमंत्रित किया जाता है, जिनमें से करीब 200 देवता इस महोत्सव में शामिल होते हैं.
सीएम ने किया महोत्सव का शुभारंभ
आजादी के बाद बनी परंपरा के अनुसार, हर साल इस महोत्सव का उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री के द्वारा किया जाता है. शिवरात्रि का आधिकारिक महोत्सव हमेशा शिवरात्रि के अगले दिन से शुरू होता है, इसलिए इस बार यह 27 फरवरी से 5 मार्च तक मनाया जाएगा.
आज 27 फरवरी को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस महोत्सव का विधिवत शुभारंभ किया. उन्होंने सबसे पहले राजा माधव राय मंदिर में पूजा-अर्चना की और फिर पारंपरिक शोभायात्रा में शामिल होकर पड्डल मैदान पहुंचे. इस सात दिवसीय महोत्सव के दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे. दूसरी शोभायात्रा 2 मार्च को और अंतिम जलेब 5 मार्च को निकाली जाएगी, जिसमें राज्यपाल की उपस्थिति में महोत्सव का समापन होगा.
हिमाचल की संस्कृति का अनोखा संगम
इस महोत्सव में छह सांस्कृतिक संध्याएं भी आयोजित की जाएंगी, जिनमें हिमाचली, पंजाबी और अन्य लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे. यह आयोजन स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखने का एक बेहतरीन मंच है.
सदियों पुरानी है ये परंपरा
मंडी में महाशिवरात्रि महोत्सव सदियों से मनाया जा रहा है, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हाल के वर्षों में ही मिली है. पहले मंडी के राजाओं द्वारा इस प्रथा की शुरुआत की गई थी. वे सभी देवी-देवताओं को मंडी बुलाते और सम्मानपूर्वक उनकी सेवा करते थे. यह परंपरा आज भी कायम है, बस अब इसे जिला प्रशासन देख रहा है.
Mandi,Himachal Pradesh
February 27, 2025, 20:08 IST
