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ब्लैकबोर्ड पर लिखकर बच्चों को पढ़ा रहा कौशांबी का ये नेत्रहीन शिक्षक

Agency:News18 Uttar Pradesh

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Success story blind teacher kaushambi : 12वीं में हुए हादसे ने उनके जीवन को बदल कर रख दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. आज वे बड़े ही रोचक ढंग से बच्चों को हिंदी, इंग्लिश और गणित की बारीकियां सिखाते हैं.

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एक अनोखा जूनून कभी खुद की पढ़ते समय चली गयी आँखों की रोशनी, नहीं माने हार 

हाइलाइट्स

  • नेत्रहीन अध्यापक बच्चों को हिंदी, इंग्लिश और गणित पढ़ाते हैं.
  • 12वीं में हादसे के बाद PHD तक की पढ़ाई की.
  • राजकुमार ने देहरादून में हिंदी-इंग्लिश ब्रेन की ट्रेनिंग ली.

कौशांबी. यूपी का एक दिव्यांग शिक्षक सुर्खियों में है. कौशांबी के उच्चतर प्राथमिक विद्यालय डोरमा ढोलची में तैनात नेत्रहीन अध्यापक राजकुमार ज्ञान का प्रकाश बनकर बच्चों का भविष्य चमकाने में जुटे हैं. 12वीं क्लास में हुए एक हादसे ने राजकुमार का जीवन बदलकर रख दिया. पटाखे के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई लेकिन राजकुमार ने अपनी पढ़ाई का दामन नहीं छोड़ा. राइटर का सहारा लेकर PHD तक की डिग्री हासिल की. PHD के बाद देहरादून में हिंदी-इंग्लिश ब्रेन की ट्रेनिंग पूरी की.

हिंदी, इंग्लिश और गणित में दक्ष

खास बात ये है कि नेत्रहीन अध्यापक राजकुमार ब्लैकबोर्ड पर लिखकर बच्चों को पढ़ाते हैं. अध्यापक राजकुमार कीपैड फोन चलाते हैं और अपने अनुभव से कही भी कॉल कर लेते हैं. अध्यापक राजकुमार जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करके इस मुकाम तक पहुंचे हैं. नेत्रहीन अध्यापक राजकुमार के अनुसार, मैं प्रयागराज से बस के जरिये सैनी आता हूं. उनके विद्यालय पहुंचते ही बच्चे खुश हो जाते हैं. वे अपने नेत्रहीन अध्यापक को स्कूल की तरफ ले जाते हैं, जहां उन्हें राजकुमार हिंदी, इंग्लिश और गणित की बारीकियां सिखाते हैं.

चलती रही सीखने की यात्रा

अध्यापक राजकुमार कहते हैं कि मेरा केस एक्सीडेंटल है. 1994 में 12वीं क्लास में पटाखों के कारण मेरी आंखों की रोशनी चली गई लेकिन उसी वर्ष मैंने इंटर का एग्जाम दिया. 12वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ. उसके बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया. फिर देहरादून में हिंदी-इंग्लिश ब्रेन की ट्रेनिंग ली.

राजकुमार के सीखने की लालसा यहीं नहीं रुकी. इसके बाद उन्होंने मोबाइल ऑपरेटिंग, इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग और लाइट इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग भी की. इसके बाद चित्रकूट से MA और B.ED की डिग्री हासिल की. आज वे कौशांबी के उच्चतर प्राथमिक विद्यालय डोरमा ढोलची में बतौर शिक्षक तैनात हैं.

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