'बेहतर झारखंड' संस्था ने संभाली जिम्मेदारी, 10 हजार लोगों को मिला साफ पानी

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Behtar Jharkhand Project: बेहतर झारखंड संस्था बोकारो के गांवों में पेयजल संकट का समाधान कर रही है. विवेक सिंह के नेतृत्व में 60 चापाकलों की मरम्मत और सोलर जल मीनारों की बहाली से 10,000 से ज्यादा लोगों को स्वच्छ…और पढ़ें

बेहतर झारखंड की टीम.
हाइलाइट्स
- बेहतर झारखंड ने 60 चापाकलों की मरम्मत की.
- 10,000 से अधिक लोगों को स्वच्छ पानी मिला.
- विवेक सिंह ने सरकारी नौकरी छोड़ सेवा का प्रण लिया.
बोकारो. ‘बेहतर झारखंड’ संस्था न केवल राहत का काम कर रही है, बल्कि जनसेवा की नई मिसाल भी कायम कर रही है. बोकारो के गांव-गांव में अब इस संस्था की गूंज सुनाई देने लगी है. संस्था ने अब तक 60 चापाकलों की मरम्मत, डीप बोरिंग की बहाली, सोलर जल मीनारों की मरम्मत और हरि मंदिर के जीर्णोद्धार जैसे महत्वपूर्ण काम किए हैं. इससे अब तक 10,000 से अधिक लोगों तक स्वच्छ पेयजल पहुंच चुका है.
सरकारी नौकरी छोड़ कर रहे हैं सेवा
इस संस्था के संस्थापक विवेक सिंह ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय की नौकरी छोड़कर बोकारो की जनता की सेवा का प्रण लिया. उनका मानना है कि जिस धरती ने उन्हें शिक्षित कर आगे बढ़ाया, अब उसे लौटाने का समय है. इस संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने 20 लोगों की टीम बनाई, जो लगातार गांवों में जाकर खराब पड़े चापाकल और जल आपूर्ति तंत्र की मरम्मत कर रही है.
गांव-गांव में राहत पहुंचा रही है टीम
23 मार्च को ‘बेहतर झारखंड’ टीम ने चास प्रखंड के गोमदीडीह गांव में बंद पड़े चापाकल को शुरू करवाया. इस इलाके के 20 परिवार गरगा नदी के प्रदूषित पानी पर निर्भर थे, लेकिन अब उन्हें स्वच्छ पेयजल मिल रहा है. इस बदलाव को लेकर गोमदीडीह की निवासी सीता देवी कहती हैं कि उनके गांव में पानी की बहुत समस्या थी. ऐसे में उन्हें मजबूरी में कपड़े धोने और नहाने के लिए भी 2 किलोमीटर दूर गंरगा नदी के गंदे पानी पर निर्भर होना पड़ता था, लेकिन ‘बेहतर झारखंड’ के प्रयास से अब उन्हें पीने के लिए साफ और स्वच्छ पानी मिल रहा है जिससे वह बहुत खुश हैं.
इसी तरह बोकारो के सेक्टर वन स्थित शिमला कॉलोनी में डीप बोरिंग की मरम्मत शुरू की गई, जिससे 60 परिवारों को राहत मिलेगी. ऐसे में शिमला कॉलोनी की रहने वाली सोनी देवी ने बताया कि शिमला कॉलोनी में बीते 40 साल से पानी की कोई सुविधा नहीं थी और सभी सप्लाई पानी पर डिपेंडेंट है, जो सुबह मात्र 1 घंटे के लिए आता है. थोड़े से पानी के लिए भी एक घंटा लाइन में लगना पड़ता था. ऐसे में परिवार को चलाना काफी मुश्किल हो गया, लेकिन विवेक भैया के प्रयास से अब नया चापाकल मिलने जा रहा है. इससे अब पानी की समस्या हल होगी और उन्हें घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
‘बेहतर झारखंड’ टीम के संस्थापक विवेक सिंह ने आज 23 मार्च को ग्वालाडीह गांव का भी दौरा किया और ग्रामीणों की जल समस्या सुनी. उन्होंने तुरंत पहल करते हुए 2 महीने से खराब चापाकल को ठीक करवाने का काम शुरू किया, जिससे ग्रामीण बहुत ही खुश हैं. ग्वालाडीह गांव की रिंकू देवी ने बताया कि आसपास चापाकल नहीं होने के कारण 2 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है. ऐसे में चापाकल की मरम्मत हो जाने से अब लोगों को सुविधा मिलेगी और मुझे दूर नहीं भटकना पड़ेगा. वहीं गांव की दूसरी महिला मंजू देवी ने बताया कि बीते कई महीने से उन्होंने जल सहिया को मरम्मत करने के लिए कहा था, लेकिन किसी ने नहीं सुनी और जब उन्होंने बेहतर झारखंड से संपर्क किया तो 24 घंटे के अंदर चापाकल की मरम्मत शुरू गई.
गांववालों के लिए उम्मीद बनी संस्था
आज बोकारो के ग्रामीण बेहतर झारखंड संस्था को उम्मीद की नजरों से देखते हैं. उन्हें विश्वास है कि उनकी पेयजल समस्या का त्वरित समाधान यही संस्था कर सकती है. बेहतर झारखंड संस्था का यह अभियान बताता है कि बदलाव सिर्फ सरकारी प्रयासों से नहीं, बल्कि समाज के लोगों की पहल से भी संभव है. यह सिर्फ एक संस्था नहीं, बल्कि जल संकट से जूझ रहे हजारों लोगों के लिए जीवनदायिनी शक्ति बन चुकी है.
