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बेटी के घर जाने निकली वृद्धा पहुंच गई वृद्धाश्रम, एक साल बाद बेटे ने ऐसे खोजा

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Korba News: कोरबा जिला के खरसिया क्षेत्र की रहने वाली मेमबाई परिवार वालों ने वृद्धाआश्रम में मिली. मेमबाई बेटी के घर जाने के लिए निकली थी. लेकिन ट्रेन पकड़ने के बजाय, वह भटकते हुए कोरबा पहुंच गई और वृद्धाश्रम मे…और पढ़ें

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हाइलाइट्स

  • मेमबाई वृद्धाश्रम में भटक गई थीं.
  • एक साल बाद परिवार ने मेमबाई को खोजा.
  • परिवार से मिलकर मेमबाई घर लौटीं.

कोरबा: “उम्मीद पर दुनिया कायम है” यह कहावत कोरबा में सच साबित हुई है. खरसिया क्षेत्र से एक साल पहले लापता हुई 70 वर्षीय महिला मेमबाई को उनके परिजनों ने आखिरकार खोज निकाला. मेमबाई, जो गलती से कोरबा के एक वृद्धाश्रम में पहुंच गई थीं, अब अपने परिवार के साथ घर लौट गई है. पश्चिम देशों में पारिवारिक मूल्यों के टूटने के कारण ओल्ड एज होम का चलन बढ़ रहा है और दुर्भाग्यवश, भारत में भी यह प्रवृत्ति देखने को मिल रही है.

बेटी के घर जाने के दौरान भटक गई थी राह

कोरबा में सर्वमंगला मंदिर के पास एक ऐसा ही केंद्र दो दशक से चल रहा है, जहां वर्तमान में 26 बेसहारा वृद्धजन निवास कर रहे हैं. इनमें संपन्न और मध्यम वर्ग के लोग शामिल हैं. मेमबाई, जो एक साल से वृद्धाश्रम में रह रही थीं, अपनी रिश्तेदारी में जाने के लिए निकली थीं. बेटी के घर जाने के लिए ट्रेन पकड़ने के बजाय, वह भटकते हुए कोरबा पहुंच गई और वृद्धाश्रम में शरण ली. वृद्धाश्रम के केयरटेकर वीरू यादव ने बताया, कि मेमबाई एक साल पहले यहां आई थी और तब से उनकी देखभाल की जा रही थी. महिला के लापता होने से परेशान परिजनों ने लगातार उनकी तलाश जारी रखा.

मां को सुरक्षित पाकर खुश हुए परिवार के लोग 

शिवनारायण ने बताया, कि उन्हें एक रिश्तेदार से सूचना मिली कि उनकी मां कोरबा में हैं. उन्हें सुरक्षित पाकर वे बेहद खुश हैं और उन्हें घर ले जा रहे हैं. केयरटेकर ने यह भी बताया, कि संस्था संचालन के दौरान यह पहला मामला है जब किसी सदस्य को लेने के लिए उनके परिजन आए हैं. उन्हें उम्मीद है, कि यह दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा. वृद्धाश्रम जैसी अवधारणा किसी भी समाज के लिए आदर्श नहीं है. उम्रदराज माता-पिता को उनके हाल पर छोड़ देना और उन्हें वृद्धाश्रम में भेजने की प्रवृत्ति की हर तरफ निंदा हो रही है. खरसिया की महिला का मामला अलग है, लेकिन यह उन लोगों के लिए एक सबक हो सकता है, जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए पारिवारिक रिश्तों को त्याग दिया है.

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