पिला, सफेद नहीं…! काले गेहूं की खेती से फरीदाबाद के किसान बने मालामाल

Agency:News18 Haryana
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Black Wheat Farming: फरीदाबाद के किसान जैविक तरीके से काले गेहूं की खेती करके मालामाल हो गए हैं. बिना रासायनिक खाद के उगाए गए इस गेहूं से किसानों को अधिक मुनाफा मिल रहा है.

दयालपुर के किसान उगा रहे जैविक काला गेहूं.
हाइलाइट्स
- फरीदाबाद के किसान काले गेहूं की खेती से मालामाल हुए.
- जैविक तरीके से उगाए गए गेहूं से अधिक मुनाफा मिलता है.
- काले गेहूं की कीमत 100 रुपये प्रति किलो तक मिलती है.
फरीदाबाद. फरीदाबाद के दयालपुर गांव में कुछ किसान अनोखे और पूरी तरह से जैविक तरीके से उगाए गए काले गेहूं की खेती कर रहे हैं. यह गेहूं अपने काले दानों के कारण बाजार में अलग पहचान रखता है और इसकी मांग भी काफी अच्छी है. इस गेहूं को बिना किसी केमिकल या रासायनिक खाद के उगाया जाता है, जिससे इसकी गुणवत्ता उच्च स्तर की बनी रहती है. किसानों को इसका अच्छा दाम भी मिलता है, जो उन्हें पारंपरिक गेहूं की तुलना में अधिक मुनाफा दिलाता है.
गांव के किसान देशराज सिंह बताते हैं कि यह गेहूं पूरी तरह से देसी और जैविक है. इसे तैयार करने में सिर्फ प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है. रासायनिक खादों की जगह गोबर की खाद से इसकी मिट्टी तैयार की जाती है और बीजों को जैविक तरीके से उपचारित किया जाता है. देशराज सिंह ने डेढ़ एकड़ में यह गेहूं उगाया था जिसमें करीब 60 किलो बीज लगा था. यह बीज उन्होंने रुड़की से मंगवाया था.
उनके मुताबिक इस फसल की बुवाई के लिए खेत की 4 से 5 बार जुताई करनी पड़ती है. यह गेहूं 4 से 5 महीने में पककर तैयार हो जाता है. एक एकड़ में 25 से 30 मन गेहूं की पैदावार हो जाती है. हालांकि इस गेहूं को स्थानीय मंडियों में खरीदने वाले कम ही मिलते हैं क्योंकि इसका दाम पारंपरिक गेहूं की तुलना में काफी अधिक होता है. किसान इसे खुद ही उपयोग में लाते हैं.
इसकी खेती में कीटनाशकों का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता. जब फसल में कीड़ों का प्रकोप बढ़ता है तो किसान पारंपरिक देसी उपाय अपनाते हैं. देशराज सिंह बताते हैं कि वे गाय के गोमूत्र, चूना और लस्सी को मिलाकर उसका स्प्रे बनाते हैं जिससे कीटों से फसल को बचाया जाता है. इससे न केवल फसल सुरक्षित रहती है बल्कि इसका जैविक गुण भी बरकरार रहता है.
देशराज सिंह बताते हैं कि एक एकड़ में काले गेहूं की खेती पर करीब 25,000 रुपये की लागत आती है. हालांकि बाजार में इसकी कीमत 100 रुपये प्रति किलो तक मिल जाती है जिससे किसानों को अच्छी आमदनी हो जाती है. यह गेहूं स्वाद में भी बेहतर होता है और सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है.
दयालपुर गांव में अब अन्य किसान भी इस गेहूं की खेती में रुचि दिखा रहे हैं. जैविक खेती से न सिर्फ मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है बल्कि किसानों को भी अच्छा मुनाफा होता है.
Faridabad,Haryana
February 21, 2025, 06:56 IST
