पिता का उठा साया, बेटों से बढ़कर हैं ये बेटियां, ऐसे बनी घर का चिराग

Agency:News18 Bihar
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सारिका सिंह बताती हैं कि वे बचपन से ही पेंटिंग के क्षेत्र में आना चाहती थीं. पेंटिंग के साथ-साथ डांस भी बच्चों को सिखाती हैं. चित्रकला करना मुझे काफी अच्छा लगता है और इसी क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाना चाहते है…और पढ़ें

बेटी हो तो ऐसा पिता के मौत के बाद सहरसा की यह बेटी पेटिंग कर चलाती है घर
मो सरफराज आलम/सहरसा. जरूरी नहीं कि रोशनी केवल चिरागों से हो. बेटियां भी घर में उजाला करती हैं. अक्सर परिवार चलाने के लिए बेटे को प्राथमिकता दी जाती है. बेटे के जन्म के साथ ही मां-बाप को लगता है कि अब आगे चलकर बेटा घर को संभालेगा. लेकिन रुकिए, साहब, एक नजर सहरसा की इन बेटियों पर भी डाल लीजिए. यह बेटी किसी बेटे से कम नहीं है.
बचपन में ही इन बेटियों के पिता गुजर गए, और घर की पूरी जिम्मेदारी मां पर आ गई. पिता के गुजर जाने पर मां को ऐसा लगा कि अब घर कैसे चलेगा, घर की देखभाल कौन करेगा, और कौन घर की जिम्मेदारी उठाएगा; लेकिन चार बेटियों ने जिस तरह परिवार को संभाला और घर को चलाया, उसके बाद मां की सारी तकलीफें दूर हो गईं.
अलग-अलग फील्ड में कर रही मेहनत
यह कहानी सहरसा की रहने वाली नैना सरकार की चार पुत्री—शालिनी, रोहिणी, सारिका, और वैष्णवी—की है. ये बेटियां किसी बेटे से कम नहीं हैं. जिस तरह एक बेटा अपने परिवार के लिए फर्ज निभाता है, वैसे ही ये बेटियां अपनी मां को वह खुशी दे रही हैं, जिसकी शायद एक बेटा भी पूर्ति नहीं कर सकता. मां के चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहे, इसके लिए ये चारों बेटी खूब मेहनत करती हैं. दरअसल, सहरसा के मीर टोला की रहने वाली नैना सरकार की ये चार पुत्री अलग-अलग फील्ड में मेहनत और लगन से काम करती हैं और अपने परिवार को चलाती हैं. साथ ही, मां नैना सरकार भी कॉलेज की प्रोफेसर हैं और उन्होंने अपने चारों पुत्री को अच्छी शिक्षा दी है, जिससे अब वे कहीं भी रहकर अच्छी खासी नौकरी कर सकती हैं.
2000 रुपए तक बिकती है पेंटिंग
चलिए हम आपको इन बेटियों में से दो बेटियों की कहानी बताते हैं जिनकी मेहनत देख आप भी दंग रह जाएंगे. सारिका और वैष्णवी, देखने में भले ही आपको छोटी लगती हों, लेकिन काम ऐसा है कि बड़े-बड़े कलाकार भी इनके सामने चित हो जाते हैं. पेंटिंग के क्षेत्र में यह दोनों बेटियां खूब आगे बढ़ रही हैं और खूब नाम कमा रही हैं, तभी तो इनके हाथों से बनी पेंटिंग 2000 रुपए तक बिकती है. यही नहीं, सारिका घर-घर जाकर नन्हे बच्चों को पेंटिंग का गुर भी सिखाती हैं.
मां की रही अहम भूमिका
सारिका सिंह बताती हैं कि वे बचपन से ही पेंटिंग के क्षेत्र में आना चाहती थीं; पेंटिंग के साथ-साथ डांस भी बच्चों को सिखाती हैं. पेंटिंग करना मुझे काफी अच्छा लगता है और इसी क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाना चाहती हूं. चित्रकारी को लोग नजरअंदाज करते हैं, लेकिन इस क्षेत्र में भी सफलता मिल सकती है, अगर मन से कोई काम किया जाए तो कामयाबी जरूर मिलती है. मेरे इस मुकाम तक पहुंचने में मेरी मां की एक अहम भूमिका रही है और उन्हीं के बदौलत आज यह मुकाम हासिल किया है.
February 11, 2025, 16:03 IST
