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नहीं रहे राममंदिर की पहली ईट रखने वाले कामेश्वर चौपाल, दिल्ली में निधन

Agency:News18 Bihar

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Kameshawar Chaupaal : कामेश्वर चौपाल का जीवन राममंदिर निर्माण के लिए समर्पित रहा.आंदोलन में शामिल बड़े और चर्चित चेहरे के बावजूद भी राममंदिर के शिलान्यास में पहली ईंट रखने का अवसर इन्हें मिला और जो सनातन धर्म क…और पढ़ें

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राममंदिर

राममंदिर वाले कामेश्वर चौपाल का हुआ निधन 

हाइलाइट्स

  • कामेश्वर चौपाल का 68 वर्ष की उम्र में निधन.
  • राममंदिर की पहली ईंट रखने का सौभाग्य मिला.
  • राममंदिर निर्माण के लिए जीवन समर्पित रहा.

पटना. अयोध्या स्थित राममंदिर की पहली ईट रखने वाले कामेश्वर चौपाल अब इस दुनिया में नहीं रहें. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी और बिहार विधानसभा परिषद के पूर्व सदस्य कामेश्वर चौपाल का 68 साल की उम्र में दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया. प्राप्त जानकारी के मुताबिक उनके किडनी में बीमारी थी. बेटी ने किडनी डोनेट भी किया था लेकिन उससे सुधार नहीं हुआ.

कामेश्वर चौपाल का जीवन राममंदिर निर्माण के लिए समर्पित रहा. आंदोलन में शामिल बड़े और चर्चित चेहरे के बावजूद भी राममंदिर के शिलान्यास में पहली ईंट रखने का अवसर इन्हें मिला और जो सनातन धर्म की एकता के प्रतीक बन कर उभरे. आरएसएस ने इन्हें प्रथम कर सेवक का दर्जा भी दिया था.

राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से पूर्व कामेश्वर चौपाल ने लोकल 18 से खास बातचीत की थी. उस समय उन्होंने बताया था कि पहली ईंट से लेकर भव्य राम मंदिर निर्माण तक गिलहरी की भांति रामकाज में लगा हुआ हूं. इस शोक की घड़ी में पढ़िए उनका यह इंटरव्यू.

कामेश्वर चौपाल ने कैसे रखा पहला ईट
कामेश्वर चौपाल बताते हैं कि उस समय मैं एक आम कार्यकर्ता था. शुरुआत से ही इस आंदोलन में सक्रिय रहता था. जब ईंट रखने की बारी आई तो मुझे उस समय तक यह नहीं पता था कि यह शुभ काम मेरे हाथों होगा. संतों के आह्वान के बाद पूरे देश से लाखों कार्यकर्ता अयोध्या पहुंचे. हजारों की संख्या में संत भी वहां पहुंचे थे. आम लोगों की तरह मैं भी उस स्थल पर खड़ा था और वहां हर दृष्टि से ज्ञान सम्पन, बुद्धि सम्पन लोग उपस्थित थे. बड़े बड़े साधु संत भी वहां मौजूद थे.

आंदोलन के नायक अशोक सिंघल ने मुझे बुलाया और बैठने को बोला. फिर मंच से घोषणा मेरे नाम की घोषणा हुई. मैं खुद कुछ क्षण के लिए समझ नहीं पाया कि इतने महापुरुषों में मुझे क्यों यह सौभाग्य मिल रहा है. बाद में ईश्वर की इच्छा समझ मैंने यह काम किया.

क्यों हुआ कामेश्वर चौपाल का चयन
शिलान्यास के लिए उनके नाम का चयन करने कारण का जवाब देते हुए उन्होंने लोकल 18 को बताया कि उस समय के साधु संतों ने राम के जीवन से ही प्रेरणा लेकर यह फैसला लिया था. राम जब वन में गए तो वो किसी राजा महाराजा के दरवाजे पर नहीं गए. प्रभु श्रीराम संत नहीं तो उस समाज के लोगों के दरवाजे पर गए जो उपेक्षित है. उस समय संतों को लगा होगा कि अगर राम का काम पूरा करना है तो समाज का जो उपेक्षित वर्ग है, उन्हीं वर्गों को जगा कर किया जा सकता है. इसी वजह से मेरा चयन किया गया. संतों ने निर्णय लिया था कि 1989 में राममंदिर के शिलान्यास में अनुसूचित वर्ग के व्यक्ति से पहली ईंट रखवाई जाएगी. इसके बाद देश एक सूत्र के साथ खड़ा हो गया.

आंदोलन में जाति, अगड़ा पिछड़ा, ऊंच नीच सबका भेद मिट गया और सभी मिलकर एक स्वर में रामकाज में लग गए. यह आंदोलन किसी एक समाज का नहीं था बल्कि सनातन के हर एक इंसान का था चाहे वो किसी भी जाति का हो. इसका नतीजा सबके सामने है.

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