दो कर्मों को छोड़कर तीसरे पाप कर्म की नहीं मिलती है माफी, जानें क्या है रहस्य!

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क्या आप जानते हैं, कि पाप कितने प्रकार के होते हैं. और इनमें से किस पाप का फल हमें भोगना ही पड़ता है. इनमें से किस पाप की हमें क्षमा नहीं मिलती है, चलिए जानते हैं क्या बताते हैं इस बारे में ज्योतिषाचार्य

Darbhanga
हाइलाइट्स
- पाप तीन प्रकार के होते हैं: अनजाने, जानबूझकर, और धर्मस्थल पर किए गए.
- धर्मस्थल पर किए गए पाप का प्रायश्चित संभव नहीं, फल भोगना ही पड़ता है.
- पूजा, हवन, पाठ से अनजाने और जानबूझकर किए पापों का नाश संभव है!
दरभंगा : इन दिनों प्रयागराज में महाकुंभ स्नान को लेकर देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. जहां लोगों का सिर्फ एक ही कहना और मानना है कि कुंभ स्नान का 144 सालों के बाद ऐसा संयोग बना है, कि इसमें स्नान या त्रिवेणी घाट पर डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाएंगे . लेकिन शास्त्रों के अनुसार, क्या आप जानते हैं कि पाप के कितने प्रकार होते हैं? यह सवाल आपके मन में भी आता ही होगा, तो चलिए जानते हैं
तीन प्रकार के होते हैं पाप
आपको बता दें कि शास्त्रों के अनुसार पाप तीन प्रकार के होते हैं . जिसमें से दो पापों का प्रायश्चित हो सकता है, लेकिन एक पाप ऐसा है जिसके प्रायश्चित की कोई गुंजाइश नहीं होती, उसका फल भोगना ही पड़ता है जीव हो या जंतु सभी को.
इस पर विस्तृत जानकारी देते हुए, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉक्टर कुणाल कुमार झा बताते हैं कि पाप तीन प्रकार के होते हैं. एक पाप अनजाने में होता है, जब हमसे कोई भूल हो जाती है या अनजाने में हमसे कोई पाप हो जाता है. वास्तविक रूप से पाप की श्रेणी में किसी को भी पीड़ा पहुंचाना आता है. किसी भी वर्ग को पीड़ा पहुंचाना पाप होता है. सभी के प्रति सद्भावना रखनी चाहिए, और अगर सद्भावना नहीं है, तो कम से कम किसी को भी पीड़ा न पहुंचाएं. ज्योतिषी कहते हैं, जिसे हम नहीं देख पाते हैं, जैसे हम सड़क पर चल रहे हैं और चींटी हमसे दब के मर गई. तो वह भी पाप है लेकिन वह अज्ञानता वश पाप हुआ तो यह तो एक प्रकार का पाप हो गया. आगे वे बताते हैं, दूसरा पाप जो हम जानकर और समझकर किसी भी मानव जाति को पीड़ा पहुंचा रहे हैं, उसके साथ हम अन्याय कर रहे हैं. यह दूसरे प्रकार के पाप की श्रेणी में आता है .
इस तरह के पाप का फल भोगना ही होता है
आगे वे बताते हैं कि तीसरे प्रकार के पाप का शास्त्रों में यह वर्णन किया गया है, जो किसी भी धर्मस्थल, तीर्थ स्थल या मंदिर पर जाकर अगर हम किसी को पीड़ा पहुंचाते हैं या किसी प्रकार की गलती हो जाती है, तो धर्म क्षेत्र में किया गया पाप वज्र के लेप की तरह हो जाता है. ऐसा शास्त्रों में वर्णन है ऐसा भोग भोगना ही पड़ता है. उस व्यक्ति को धर्म क्षेत्र में किए गए कुकृत्य का फल भोगना ही पड़ता है. हालांकि, पूजा, हवन, पाठ आदि से अज्ञानता वश किए गए पापों से निदान पाया जा सकता है. वहीं, ग्रह दोष को जानकर और उनका समन करके अनुष्ठान, पूजा, दान, पुण्य, साधना, भजन, संकीर्तन और स्त्रोत पाठ से दो प्रकार के पापों का नाश किया जा सकता है, लेकिन धर्म क्षेत्र में किए गए पाप का क्षय कभी नहीं होता और इसका फल भोगना पड़ता है.
Darbhanga,Bihar
February 13, 2025, 14:48 IST
