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तीन बेटों के पिता 88 वर्षीय बुजुर्ग सड़क किनारे पिलाते हैं गरम-गरम चाय, इनकी कहानी सुन टपकने लगेगा आंख से आंसू, देखे विडियो <br><br>

Agency:News18 Bihar

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समस्तीपुर के 88 वर्षीय रामानंद शर्मा, जिनके तीन बेटे हैं, फिर भी वे सड़क किनारे चाय बेचकर जीवन यापन कर रहे हैं. बेटे उनकी देखभाल नहीं करते और वृद्धा पेंशन भी बंद है.

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बुजुर्ग

बुजुर्ग चाय वाले 

हाइलाइट्स

  • 88 वर्षीय रामानंद शर्मा सड़क किनारे चाय बेचते हैं.
  • तीन बेटे होते हुए भी रामानंद की देखभाल नहीं होती.
  • वृद्धा पेंशन बंद होने से रामानंद की आर्थिक स्थिति दयनीय है.

समस्तीपुर:- समस्तीपुर जिले के पटोरी प्रखंड क्षेत्र के भौवा गांव निवासी 88 वर्षीय रामानंद शर्मा की कहानी दिल को छू लेने वाली है. आज वह सड़क किनारे एक रैन बसेरे में बैठकर राहगीरों और अस्पताल के मरीजों को गरम-गरम चाय पिलाते हैं. यह कार्य वह अपनी आजीविका चलाने के लिए करते हैं, लेकिन उनकी जिंदगी में एक बड़ा दर्द भी छुपा है. रामानंद शर्मा के तीन बेटे हैं और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इन्हीं बेटों के लिए जिया.

उन्होंने न केवल अपनी संतानें, बल्कि पोता-पोती को भी पाल पोस कर बड़ा किया. लेकिन जब वह बुजुर्ग अवस्था में पहुंचे, तो उनका साथ देने वाले उनके बेटों ने उनका साथ छोड़ दिया. न तो वे उनकी देखभाल करते हैं और न ही कोई मदद करते हैं. उन्हें तो गवर्नमेंट की ओर से मिलने वाले वृद्धा पेंशन का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी दयनीय हो गई है.

सड़क किनारे पिलाते लोगों को चाय
रामानंद शर्मा की जिंदगी अब एक संघर्ष बन चुकी है. जहां लोग रिटायरमेंट के बाद आराम से अपने बच्चों के साथ जीवन बिताते हैं, वहीं रामानंद शर्मा अपनी जिंदगी की सच्चाई का सामना करते नजर आए हैं. जब लोकल 18 की टीम ने सड़क किनारे बैठे बुजुर्ग दादा जी से सवाल किया कि 88 वर्ष की उम्र में क्यों सड़क किनारे चाय बेचते हैं, तो वह अपनी आंखों में आंसू लिए हुए कहते हैं कि मेरे तीन बेटे हैं. लेकिन वे मेरे काम के नहीं हुए. न तो मुझे पैसे देते हैं, न ही मेरी देखभाल करते हैं. मजबूरी है कि मैं सड़क पर बैठकर चाय बेचने का काम करता हूं. बताते चलें कि यह कहानी न केवल उनके दु:खों की गवाही देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि हमारे समाज में बुजुर्गों के साथ कितनी बेरुखी हो सकती है.

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एक बेटा फर्नीचर मिस्त्री तो दो बेटे करते हैं मजदूरी
रामानंद शर्मा ने Local 18 से बातचीत के दौरान बताया कि उनके तीन बेटे हैं- अखिलेश, पवन और पंकज. इनमें से दो बेटे गांव में ही रहकर मजदूरी करते हैं, जबकि एक बेटा परदेस में रहकर फर्नीचर का काम करता है. उनके पास पोता-पोती भी हैं और उन्होंने सभी को बचपन से ही पालन-पोषण करके बड़ा किया. लेकिन अब कोई उनकी देखभाल करने वाला नहीं है.

वे रोजाना 50-60 लोगों को चाय बनाकर पिलाते हैं और उस काम से उन्हें 100 से 150 रुपये की आमदनी होती है, जिससे वे अपना खाने-पीने का सामान जुटाते हैं. रामानंद शर्मा ने यह स्पष्ट किया कि पिछले 12 साल से उनका वृद्धा पेंशन बंद है और पेंशन का लाभ न मिलने से उन्हें काफी परेशानी हो रही है. इसीलिए मजबूरन उन्हें सड़क किनारे रैन बसेरा में बैठकर चाय बेचना पड़ता है. यह काम वह रैन बसेरा में पिछले 3 सालों से लगातार करते आ रहे हैं.

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तीन बेटों के पिता 88 वर्षीय बुजुर्ग सड़क किनारे पिलाते हैं गरम-गरम चाय, इनकी कहानी सुन टपकने लगेगा आंख से आंसू, देखे विडियो <br><br>

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