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खंडवा: मां का निभाया फर्ज, गोद में बच्चे को लेकर ड्यूटी पर पहुंची टींचर

Agency:News18 Madhya Pradesh

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खंडवा की तीन महिला शिक्षिकाओं ने परीक्षा ड्यूटी के दौरान मां और कर्तव्य दोनों निभाकर मिसाल पेश की. दूरदराज के परीक्षा केंद्रों पर अपने छोटे बच्चों को गोद में लेकर पहुंचीं और पूरी ईमानदारी से जिम्मेदारी निभाई. इ…और पढ़ें

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तीन टीचर अपने छोटे छोटे बच्चों लेकर परीक्षा पेपर लेने आई उत्कृष्ट स्कूल में

हाइलाइट्स

  • खंडवा की तीन महिला शिक्षिकाओं ने मिसाल पेश की.
  • परीक्षा ड्यूटी के दौरान मां और शिक्षक दोनों की भूमिका निभाई.
  • दूरदराज के केंद्रों पर छोटे बच्चों को गोद में लेकर पहुंचीं.

खंडवा: मध्य प्रदेश के खंडवा में कुछ महिला शिक्षिकाओं ने ऐसा उदाहरण पेश किया, जिसे देखकर हर कोई झांसी की रानी की याद करने लगा. इन शिक्षिकाओं ने परीक्षा ड्यूटी के दौरान न सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभाई बल्कि मातृत्व का भी फर्ज पूरा किया.

परीक्षा ड्यूटी के दौरान कुछ महिला शिक्षिकाएं अपने छोटे बच्चों को गोद में लेकर परीक्षा केंद्र पर पहुंचीं. किसी की ड्यूटी 70 किलोमीटर दूर थी तो किसी की 80 किलोमीटर दूर थी. लेकिन न ही दूरी ने उनके हौसले को तोड़ा और न ही जिम्मेदारी से पीछे हटने दिया. बच्चों को गोद में लेकर परीक्षा की निगरानी करते हुए इन शिक्षिकाओं का समर्पण देखने लायक था.

मां की ममता और कर्तव्य की भावना
Local 18 की टीम ने इन जुझारू शिक्षिकाओं से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके लिए परिवार और नौकरी दोनों ही जरूरी हैं. वे अपने बच्चों को छोड़कर नहीं आ सकती थीं, लेकिन ड्यूटी भी निभानी थी. इसलिए उन्हें साथ लाना पड़ा. इन शिक्षिकाओं के इस समर्पण को देखकर वहां मौजूद हर कोई भावुक हो गया और उन्हें झांसी की रानी कहकर सम्मान देने लगा.

कर्तव्यनिष्ठा की पेश की मिसाल
परीक्षा केंद्र पर अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद ये महिलाएं घर जाकर परिवार की देखभाल भी करती हैं. घर और नौकरी के बीच संतुलन बनाए रखना किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन इन शिक्षिकाओं ने यह कर दिखाया. यह कहानी समाज के लिए प्रेरणा है कि एक महिला चाहे तो हर परिस्थिति में अपने कर्तव्य को निभा सकती है.

इस जुझारूपन की मिसाल बनीं शिक्षिकाओं में नेहा विश्वकर्मा, शादाब परवीन शेख और फिरदोष शेख शामिल हैं. उनकी ड्यूटी खंडवा के अलग-अलग परीक्षा केंद्रों में लगी थी, लेकिन उन्होंने पूरी निष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाई. इन शिक्षिकाओं का समर्पण बताता है कि आज भी समाज में झांसी की रानियां मौजूद हैं, जो अपने साहस और कर्तव्यपरायणता से हर मुश्किल को पार कर सकती हैं.

महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी ये शिक्षिका
इन शिक्षिकाओं की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो कभी- कभी हालातों से घबराकर अपने सपनों और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन नहीं बना पातीं. खंडवा की इन झांसी की रानियों ने साबित कर दिया कि नारी शक्ति हर परिस्थिति में डटकर खड़ी रह सकती है और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा सकती है.

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खंडवा: मां का निभाया फर्ज, गोद में बच्चे को लेकर ड्यूटी पर पहुंची टींचर

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