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क्या लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियां लेने से बाद में प्रेगनेंट होने में मुश्किल होती है? एक एक्सपर्ट दे रही हैं इस सवाल का जवाब

अनप्लांड प्रेगनेंसी के बाद महिलाएं अबॉर्शन करवाती हैं, जो असल में इनफर्टिलिटी की संभावना को बढ़ा सकता है। परंतु अनवांटेड प्रेगनेंसी रोकने से आपकी फर्टिलिटी कम नहीं होती।

आज के समय में महिला एवं पुरुष दोनों में इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ती जा रही है। बहुत से लोग कांट्रेसेप्टिव मेथड को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। क्या आपको भी ऐसा हो लगता है? यदि हां, तो आपको बताएं कि यह एक बहुत बड़ी अवधारणा है। अनप्लांड प्रेगनेंसी के बाद महिलाएं अबॉर्शन करवाती हैं, जो असल में इनफर्टिलिटी की संभावना को बढ़ा सकता है। परंतु अनवांटेड प्रेगनेंसी रोकने से आपकी फर्टिलिटी कम नहीं होती। अब आपके मन में अन्य कई सवाल आ रहे होंगे, कि कौन सा कंट्रासेप्टिव मेथड सुरक्षित है? कंट्रासेप्टिव पिल्स और हार्मोनल इंजेक्शन में अधिक सुरक्षित क्या है? आदि।

आखिर असल में कांट्रेसेप्टिव मेथड का इनफर्टिलिटी पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस बारे में अधिक गंभीरता से समझने के लिए हमने कोकून हॉस्पिटल जयपुर के कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स ऑर्गेनिकोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर मितुल गुप्ता से बात की। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से (contraceptives effect on fertility)।

कंट्रासेप्टिव पिल्स नहीं बनती इनफर्टिलिटी का कारण (contraceptives effect on fertility)

इसी तरह, गर्भनिरोधक गोलियां भी महिलाओं में हार्मोन को नियंत्रित करके अस्थायी रूप से ओव्यूलेशन को रोकती हैं। जब आप इनका इस्तेमाल बंद कर देती हैं, तो कुछ ही समय में आपका शरीर अपनी सामान्य अवस्था में लौट आता है। हालांकि, गर्भनिरोधक गोलियां कितने समय तक लेनी चाहिएं, इसके लिए डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें। यदि आप स्वयं कोई भी गोली कभी भी लेती हैं, तो यह सुरक्षित नहीं माना जाता। यदि डॉक्टर की सलाह से इन्हे लिए जाए तो इनका कोई बड़ा नुकसान नहीं होता।

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इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव्स (EC) गोली, जिसे कभी-कभी मॉर्निंग-आफ्टर पिल कहा जाता है चित्र : शटरस्टॉक

कंट्रासेप्टिव मेथड छोड़ने के बाद सामन्य हो जाती है फर्टिलिटी

कंट्रासेप्टिव मेथड का इस्तेमाल छोड़ देने के बाद आपकी फर्टिलिटी वापस से सामान्य हो जाती है, और लंबे समय में इन उपायों का आपकी फर्टिलिटी पर कोई प्रभाव नहीं होता। कुछ महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियां बंद करने के बाद अनियमित पीरियड्स आ सकते हैं, जिसे नियमित होने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन यह समस्या अस्थायी होती है।

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क्या लंबे समय तक गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने से प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है?

नहीं। लंबे समय तक कांट्रेसेप्टिव के इस्तेमाल से प्रजनन क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है, हालांकि, उम्र बढ़ने के साथ प्रजनन क्षमता स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है। 35 वर्ष की आयु के बाद कंसीव करने में स्वाभाविक रूप से कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

क्या हैं कांट्रेसेप्टिव के बाद कंसीव करने के आंकड़े

गर्भा गुड़ी आईवीएफ सेंटर द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 21% महिलाएं कांट्रेसेप्टिव बंद करने के एक चक्र के बाद गर्भवती हो गईं और 79% महिलाएं एक वर्ष के भीतर गर्भवती हो गईं। वहीं 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भावस्था की दर कम थी। इससे पता चलता है, कि जन्म नियंत्रण प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करता है। फर्टिलिटी बढ़ती उम्र के साथ स्वाभाविक रूप से कम होती जाती है।

जानिए फर्टिलिटी पर अलग-अलग कांट्रेसेप्टिव मेथड के प्रभाव (contraceptives effect on fertility)

1. कांबिनेशन पिल्स या हार्मोनल पिल्स:

इनमें प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन होते हैं, जो यूट्रस के रस्ते में बलगम को गाढ़ा करने और लाइनिंग को पतला करने से रोकता है, इस प्रकार ओव्यूलेशन नहीं होने देता और इंप्लांटेशन रुक जाता है। यह जन्म को नियंत्रित करने में 99% प्रभावी है, इसे लेना बंद करने के बाद चक्र सामान्य हो जाता है। 1000 में से एक महिला ऐसी हो सकती हैं, जिन्हें पीरियड साइकिल वापस लाने में परेशानी हुई हो। तीन महीने की देरी को सामान्य माना जाता है।

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99% सेफ है यह पिल्स, इसका फर्टिलिटी पर कोई स्थाई प्रभाव नहीं पड़ता। चित्र : शटरस्टॉक

2. मिनी पिल:

यह भी यूट्रस की लाइनिंग को पतला करके, ओव्यूलेशन को रोककर समान प्रभाव डालती है। एक बार गोली बंद करने के बाद चक्र फिर से स्थापित हो जाता है और लाइनिंग मोटी हो जाती है। इस प्रकार वापस से महिलाओं का पीरियड साइकिल नॉर्मल हो जाता है, और वे कंसीव कर सकती हैं। इसका फर्टिलिटी पर कोई स्थाई प्रभाव नहीं पड़ता।

3. हार्मोनल या कॉपर आईयूडी:

आईयूडी में इंप्लांटेशन को रोकने का यांत्रिक प्रभाव होता है। जबकि हार्मोन वाले आईयूडी में प्रोजेस्टेरोन के स्राव के कारण सर्वाइकल म्यूकस को गाढ़ा करने और यूट्रस की परत को पतला करने का प्रभाव होता है। आईयूडी को हटाने के बाद पीरियड साइकिल वापस से शुरू हो जाता है। इससे आपकी फर्टिलिटी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता।

4. वेजाइनल रिंग या कांट्रेसेप्टिव पैच:

ये दोनों ही नए हार्मोनल गर्भनिरोधक हैं, जिनका प्रभाव लंबे समय तक नहीं रहता। इसकी क्रिया गोलियों के समान है और समान सुरक्षा का संकेत देती है।

5. गर्भनिरोधक इंजेक्शन:

यह इंजेक्शन तीन महीने में एक बार लिया जाता है, जो उन महिलाओं के लिए मददगार है जो हर दिन गोली लेने के बारे में परेशान नहीं होना चाहती हैं। इस गर्भनिरोधक के साथ एकमात्र डर यह है कि पीरियड साइकिल को फिर से शुरू होने में एक साल लग सकता है। इसलिए यह उन महिलाओं के बीच कम लोकप्रिय है, जो भविष्य में गर्भवती होना चाहती हैं।

प्रेगनेंसी अवॉइड करने के लिए सुरक्षित और सही कंट्रासेप्टिव

प्रेगनेंसी अवॉइड करने के लिए यदि सही और सुरक्षित कांट्रेसेप्टिव मेथड का इस्तेमाल किया जाए तो ये किसी प्रकार से इनफर्टिलिटी का कारण नहीं बनते हैं।

बैरियर मेथड :

बैरियर मेथड में आप कंडोम, सर्वाइकल कैप, डायाफ्राम, आदि का इस्तेमाल कर सकती हैं। यह सभी फिजिकल बैरियर की तरह काम करते हैं। जो स्पर्म और एग को एक दूसरे के साथ फर्टिलाइज होने से रोकते हैं। यदि आपके मन में इन बैरियर मेथड को लेकर किसी तरह का भ्रम है, तो अपने गाइनेकोलॉजिस्ट से मिलकर उसे दूर करें और इसका सही इस्तेमाल करें।

कंडोम इस्तेमाल करते वक्त ध्यान रखें कि वह एक्सपायरी ना हो साथ ही पेनिट्रेशन के लिए फ्लेवर्ड कंडोम के इस्तेमाल से परहेज करें। इसके अलावा बहुत से लोगों को लेटेक्स से एलर्जी होती है, इसलिए उससे परहेज करें।

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इससे पहले कि आप गर्भनिरोधक के लिए आईयूडी का उपयोग करें, कुछ बातों का ध्यान रखें। चित्र ; शटरस्टॉक

हार्मोनल मेथड :

हार्मोनल बर्थ कंट्रोल पिल्स में एस्ट्रोजन और progestin या केवल प्रोजेस्टिन मौजूद होते हैं, जो प्रेगनेंसी अवॉइड करने के लिए ओवुलेशन को रोक देते हैं या यूट्रस लाइनिंग में बदलाव कर देते हैं। इसके अलावा हार्मोनल इंजेक्शन, वेजाइनल रिंग, स्किन पैचेज आदि भी सुरक्षित है। वहीं प्रेगनेंसी अवॉइड करने में आपकी मदद करते हैं।

लेकिन इनका इस्तेमाल तभी करना चाहिए जब आपके डॉक्टर ने इन्हें इस्तेमाल करने का सुझाव दिया हो और हार्मोनल इंजेक्शन अपने डॉक्टर की निगरानी में ही लगवाएं।

आईयूडी (intrauterine devices) :

T शेप का ये डिवाइस शरीर में कॉपर रिलीज करता है, जो स्पर्म मूवमेंट और सर्वाइवल को प्रभावित करते हैं। इसके साथ ही यह यूट्रस के लाइनिंग में बदलाव लाते हैं, जिसकी वजह से प्रेगनेंसी नहीं होती। कॉपर आईयूडी को 99% तक प्रभावी माना जाता है।

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