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कौन थे छत्रपति शिवाजी के बेटे संभाजी महाराज, जिन पर बनी फिल्म 'छावा'

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मराठा शासक छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित आगामी बॉलीवुड फिल्म ‘छावा’ फरवरी में रिलीज होने वाली है. कौन थे वह, क्यों अक्सर चर्चा में रहते हैं.

कौन थे छत्रपति शिवाजी के बेटे संभाजी महाराज, जिन पर बनी फिल्म 'छावा'

हाइलाइट्स

  • संभाजी जबरदस्त योद्धा, रणनीतिकार और प्रशासक थे
  • वह कई भाषाएं जानते थे, कविताएं भी उन्होंने लिखीं
  • पिता शिवाजी की तरह वह भी औरंगजेब के दांत खट्टे करते रहे

बॉलीवुड ने छत्रपति शिवाजी के बेटे संभाजी महाराज पर एक फिल्म बनाई है. इसका नाम है “छावा”. ये फरवरी के मध्य में रिलीज होने वाली है. इसमें मुख्य भूमिका में अभिनेता विक्की कौशल हैं तो मुख्य अभिनेत्री रश्मिका मंदाना हैं. विक्की कौशल ने संभाजी का चरित्र निभाया है तो रश्मिका ने संभाजी की पत्नी महारानी येसुबाई का किरदार निभाया है. आखिर कौन थे संभाजी, उन्हें किसलिए याद किया जाता है.

पहले तो बात उस विवाद की, जिसके कारण इस फिल्म पर एक डांस सीन को हटाने की बात हो रही है. ये एक लेजिम डांस है.

लेज़िम क्या है?
भारतीय कला विद्वान कपिला वात्स्यायन ने अपनी पुस्तक ‘ट्रेडिशन्स ऑफ इंडियन फोक डांस’ में लिखा है कि कोंकण तट के जिलों में होने वाले विवाह समारोहों में लेज़िम को अक्सर शामिल किया जाता था.लेज़िम राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों में शारीरिक शिक्षा अभ्यास का अभिन्न अंग भी है. ये गणेश चतुर्थी जैसे सांस्कृतिक समारोहों का एक प्रमुख हिस्सा है.

लेज़िम, एक छोटा सा हथौड़ा, एक पतली लकड़ी से बना होता है, जिसमें धातु के टुकड़े आपस में बंधे होते हैं जो टकराते हैं और झूलने पर एक मधुर ध्वनि पैदा करते हैं. लेज़िम एक कठोर शारीरिक व्यायाम है, एक अभ्यास है, साथ ही एक नृत्य भी है: दो-दो और चार-चार की संख्या में और कभी-कभी एक गोलाकार में इसे लेकर नृत्य किया जाता है.

छत्रपति संभाजी महाराज (विकी कामंस)

छत्रपति संभाजी महाराज कौन थे?
छत्रपति संभाजी महाराज छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बड़े पुत्र थे. वे 1681 में अपने सौतेले भाई राजाराम के साथ खूनी उत्तराधिकार युद्ध के बाद सत्ता में आए थे. वह मुगल सम्राट औरंगजेब (1618-1707) उनके समकालीन थे. अपने साम्राज्य को दक्कन की ओर बढ़ाने की उनकी योजना के कारण वह ज्यादातदर लड़ाइयों और संघर्ष से जूझते रहे.

कहा जाता है वह बहादुर योद्धा, कुशल प्रशासक और बुद्धिमान रणनीतिकार थे. उनके शासनकाल में उनका मुगलों, पुर्तगालियों और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष हुआ.

हालांकि संभाजी कुछ वर्षों तक मुगल सेनाओं के विरुद्ध कई प्रसिद्ध किलों की रक्षा करने में सक्षम रहे. उन्होंने मराठा साम्राज्य की नौसेना को भी मजबूत किया. संभाजी महाराज को उनकी वीरता और बलिदान के लिए “धर्मवीर” की उपाधि दी जाती है.

शिवाजी की पहली पत्नी से हुआ जन्म
उनका जन्म 14 मई 1657 को महाराष्ट्र के पुरंदर किला में हुआ था. उनकी मां का नाम सईबाई थीं. महारानी सईबाई निंबालकर छत्रपति शिवाजी महाराज की पहली और मुख्य पत्नी थीं. उनका विवाह शिवाजी महाराज से 14 मई, 1640 को लाल महल, पुणे में हुआ था. सईबाई से शिवाजी को चार संतानें हुईं, जिनमें वीर संभाजी महाराज भी शामिल थे.

संभाजी वीर थे, चतुर थे, साहसी थे लेकिन उन्हें दुश्मनों के साथ अपनों से भी लगातार जूझना पड़ा. अंदर – बाहर दोनों ओर से साजिशों का सामना करना पड़ा. (विकी कामंस)

विवाह सियासी गठबंधन के तहत हुआ
संभाजी का विवाह राजनीतिक गठबंधन के तहत जिवुबाई से हुआ था. मराठा रीति-रिवाज के अनुसार उन्होंने अपना नाम येसुबाई रख लिया. जिवुबाई पिलाजी शिर्के की बेटी थीं, जो देशमुख सूर्याजी सुर्वे की हार के बाद शिवाजी की सेवा में शामिल हुए थे. इस विवाह ने शिवाजी को कोंकण तटीय क्षेत्र तक पहुंच प्रदान की. येसुबाई के दो बच्चे थे, बेटी भवानी बाई और फिर एक बेटा जिसका नाम शाहू प्रथम था, जो बाद में मराठा साम्राज्य का छत्रपति बना.

औरंगजेब ने क्रूरता से मरवा दिया
उन्होंने कई सालों तक औरंगजेब को टक्कर ही नहीं दी बल्कि उसके कई मंसूबों पर पानी भी फेरा. औरंगज़ेब के आदेश पर उनकी क्रूरतापूर्वक हत्या 11 मार्च 1689 को हुई. 1689 में जब वह संगमेश्वर में थे, तब गद्दार गणोजी शिर्के की मदद से मुगलों ने उन्हें पकड़ा.

इस्लाम अपनाने की बजाए जान दे दी
औरंगज़ेब ने उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने का आदेश दिया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. इसके बाद उन्हें 40 दिनों तक भयंकर यातनाएं दी गईं. आखिरकार उनकी क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई.

बेटे को मुगलों ने 18 सालों तक कैद में रखा
संभाजी की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य में अव्यवस्था फैल गई,. उनके छोटे सौतेले भाई राजाराम प्रथम ने गद्दी संभाली. राजाराम ने मराठा राजधानी को दूर दक्षिण में जिंजी स्थानांतरित कर दिया. संभाजी की मृत्यु के कुछ दिनों बाद राजधानी रायगढ़ किला मुगलों के हाथों में चला गया. संभाजी की विधवा येसुबाई, पुत्र शाहू को पकड़ लिया गया. शाहू पकड़े जाने के समय सात वर्ष का था. वह औरंगजेब की मृत्यु तक 18 सालों तक मुगलों का कैदी रहा.

संभाजी ने कई किताबें लिखीं
संभाजी की लेखन में रुचि थी. अपने जीवनकाल में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं. सबसे उल्लेखनीय है संस्कृत में लिखी गई बुद्धभूषणम. इसके अलावा उन्होंने तीन अन्य पुस्तकें नायिकाभेद , सातशतक , नखशिखा भी लिखी. बुद्धभूषणम में संभाजी ने राजनीति पर कविता लिखी. एक राजा क्या करें और क्या न करे, इस बारे में लिखा. सैन्य रणनीति पर चर्चा की.

तिहासकार वायजी भावे की किताब यह भी कहती है कि मुगलों का संभाजी पर ज़ुल्म ढाना और उन्हें दर्दनाक मौत देना मराठाओं में नई चेतना फूंकने का बड़ा कारण बना. संभाजी के इस गौरवशाली बलिदान के बाद मराठा फिर मुगलों के खिलाफ लामबंद हुए.

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