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इस महिला की अटूट मोहब्बत: जब यमराज से छीना अपना सुहाग! जानिए पूरी कहानी

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International Women’s Day 2025: 8 मार्च को इंटरनेशनल वुमेन डे है. इस मौके पर हम आपको रांची की रहने वाली सुमन की लव स्टोरी बताने जा रहे हैं. सुमन ने अपने पति को मौत के मुंह से बचाया है. दो साल पहले उनके पति का ल…और पढ़ें

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कलयुग की सावित्री ! अपनी 75% लीवर देकर बचाई पति की जान, डॉक्टर ने दे दिया था जवा

हाइलाइट्स

  • 8 मार्च को इंटरनेशनल वुमेन डे है.
  • इस मौके पर हम आपको रांची की सुमन की लव स्टोरी बताने जा रहे हैं.
  • सुमन ने अपने पति को मौत के मुंह से बचाया है.

International Women’s Day 2025: कहते हैं कि अगर एक महिला कुछ ठान ले, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं होता. आपने फिल्मों और सीरियलों में देखा होगा कि पत्नी अपने पति को यमराज से भी छीनकर ले आती है. लेकिन झारखंड की राजधानी रांची में रहने वाली सुमन ने इस बात को हकीकत में बदल दिया. उनकी कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है.

सुमन रांची के सिंह मोड़ इलाके में रहती हैं. करीब दो साल पहले उनके पति अमित तिवारी की तबीयत अचानक बिगड़ गई. डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि उनका लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका है. डॉक्टरों ने कह दिया कि अमित के पास सिर्फ एक महीना बचा है. ये सुनकर सुमन के पैरों तले जमीन खिसक गई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने फौरन फैसला किया कि किसी भी हालत में अपने पति को बचाना है. बिना समय गंवाए, वो अरुण को इलाज के लिए हैदराबाद ले गईं.

पांच महीने की संघर्ष भरी लड़ाई
सुमन बताती हैं कि ये सफर आसान नहीं था. डॉक्टरों ने बताया कि लीवर ट्रांसप्लांट के लिए 50 लाख रुपए की जरूरत पड़ेगी. एक मिडिल क्लास परिवार के लिए इतनी बड़ी रकम जुटाना नामुमकिन जैसा था. मुश्किल की घड़ी में परिवार वालों ने भी उनका साथ छोड़ दिया. सिर्फ उनकी बहन और भाई उनके साथ खड़े रहे.

घर में छोटे- छोटे बच्चे थे, जिन्हें उनकी बहन ने संभाला. लेकिन सुमन के सामने सबसे बड़ा सवाल था कि इतने पैसे कहां से लाए जाएं? उन्होंने किसी से 10 हजार, किसी से 50 हजार, किसी से 5 हजार तो किसी से 1000 रुपए उधार लिए. धीरे- धीरे उन्होंने पूरा पैसा इकट्ठा किया और अपने पति का लीवर ट्रांसप्लांट कराया. इतना ही नहीं सुमन ने खुद अपना 75% लीवर देकर अपने पति को नई जिंदगी दी.

ट्रांसप्लांट के हो चुके हैं दो साल
अरुण बताते हैं, “आज मुझे ट्रांसप्लांट के दो साल हो चुके हैं और मैं पूरी तरह से ठीक हूं. मैं फिर से नौकरी कर रहा हूं और अपने परिवार को चला रहा हूं. जिन लोगों से पैसे लिए थे, वो भी वापस कर दिए हैं. लेकिन इस पूरी लड़ाई में जिसने मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा, वो मेरी पत्नी सुमन है. उसने सिर्फ पैसे ही नहीं जुटाए, बल्कि अपना अंगदान करके मेरी जान बचाई. अगर वो न होती, तो आज मैं जिंदा नहीं होता.”

महिलाओं की ताकत को सलाम
अरुण कहते हैं, “उस वक्त मुझे लगा था कि अब मैं नहीं बचूंगा. लेकिन सुमन ने हमेशा कहा कि कुछ नहीं होगा. उसकी दुआओं और हिम्मत ने मुझे एक नई जिंदगी दी. आज मुझे समझ में आता है कि एक महिला चाह ले, तो कुछ भी कर सकती है. उसकी प्रार्थनाओं में इतनी ताकत होती है कि भगवान भी सुनने पर मजबूर हो जाते हैं.”

महिला दिवस के मौके पर सुमन की कहानी हर किसी के लिए एक मिसाल है. ये दिखाती है कि अगर एक महिला ठान ले, तो कोई भी मुश्किल उसे रोक नहीं सकती.

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